पेंड्रा । कोरोना के संक्रमण की दहशत जहां इंसानों में देखी जा रही है वहीं लॉकडाउन का असर पशुओं और जंगली जानवरों पर भी पड़ रहा है। गौरेला पेंड्रा से अमरकंटक जाने के रास्ते में पड़ने वाले पहाड़ों और जंगलों में सैकड़ों बंदर हैं । इन बंदरों को भोजन इस मार्ग से निकलने वाले राहगीर ही कराते हैं। कुछ राहगीर इन्हें भोजन कराने के लिए ही यहां आते हैं।
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बीते एक सप्ताह से मध्यप्रदेश की सीमा से लगने वाले अमरकंटक क्षेत्र से वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद है। इन बंदरों का पेट यहां निकलने वाले वाहनों के द्वारा दिये जाने वाले भोज्य पदार्थों से भर जाता रहा है पर वाहनों की आवाजाही बंद हो जाने से बंदर भूख से छटपटा रहे है। बंदर जोर-जोर से आवाज कर अपनी भूख को बताने की भी कोशिश कर रहे हैं।
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बंदरों के बारे में जब पेंड्रा के स्थानीय समाजसेवियों और मीडियाकर्मियों को हुआ तो उन्होंने प्रशासन को इसकी सूचना देकर ध्यानाकर्षण कराया। इसके बाद इन लोगों के द्वारा बंदरों की भूख और प्यास मिटाने के लिये भोजन, केला बिस्किट चना आदि लेकर गौरेला पेंड्रा से अमरकंटक जाने के रास्ते और जंगलों में पहुंचकर इन बेजुबानों की भूख मिटाने का सराहनीय काम किया। जैसे ही भोजन पहुंचा भूखे बंदर उस पर टूट पड़े। समाजसेवियों के इस पहल की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है।