नई दिल्ली : Dussehra 2022: नवरात्री के दसवे दिन विजयादशमी यानी दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन को असत्य पर सत्य की जीत के रूप में भी जाना जाता हैं। रावण के पुतले को जलाने की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है। कई जगह ऐसी हैं, जहां बड़ी ही अजीबोगरीब परंपराएं देखने को मिलती हैं। कई जगहों पर रावण की पूजा की जाती है, तो कई जगहों पर और कई प्रकार की चीजें की जाती है।
Dussehra 2022: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में भी एक अनोखी परंपरा है। यहां रावण के पुतले को जलाने के बाद उसकी लकड़ियां शुभ मानकर घर ले जाई जाती हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दशहरे पर हर साल रावण के पुतले जलाने की परंपरा पिछले 64 सालों से चली आ रही है। इस शहर में रावण दहन कार्यक्रम देखने बड़ी संख्या में लोग आते हैं। रावण दहन होने के बाद वहां मौजूद लोग उसकी जली हुई लकड़ियां बटोर कर अपने घर ले जाते हैं।
Dussehra 2022: प्रचलित मान्यता के अनुसार रावण दहन के बाद जली हुई लकड़ियां घर ले जाकर अपने घर के पूजा कक्ष में रख देते हैं तो वहीं कुछ लोग इस जली हुई लकड़ी को अपने घर के मुख्य हिस्से में सुरक्षित रख देते हैं। वहां मौजूद लोगों की पूरी कोशिश रहती है कि पुतले की लकड़ी खाक बनने से पहले ही उसे बटोर लिया जाए।
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Dussehra 2022: मान्यता है कि रावण दहन के बाद जली हुई लकड़ी घर ले जाने से परिवार में धन-धान्य की कमी नहीं होती। इस शहर के लोगों का मानना है कि इस जली हुई लकड़ी को घर में लाने से परिवार में खुशियां आती हैं, धन आगमन के साधन बनते हैं और हर काम में सफलता प्राप्त होती है।
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1 week ago