Mad Doctor: इश्क में पागल होने की खौफनाक कहानियां तो आपने भी सुनी होगी, लेकिन आज हम जो आपको बताने जा रहे हैं शायद ही आपने इस तरह की खौफनाक और डरावनी कहानी कभी सुनी होगी। दरअसल वारदात है एक पागल डॉक्टर की। जिसने एक ‘लाश वाली दुल्हन’ बनाई थी। जी हां, ‘डॉ. डेथ’ कार्ल टेंजलर (Carl Tanzler) की कहानी जिसने अपने लिए ‘लाश वाली दुल्हन’ तैयार की थी।
The Sun की रिपोर्ट के अनुसार खौफनाक वैज्ञानिक जिसे फ्लोरिडा के फ्रेंकस्टीन के रूप में भी जाना जाता है ने पहले कब्र से एक महिला की लाश चुराई, फिर उसे उसमें वापस जीवन लाने के लिए उस पर अजीबोगरीब प्रयोग किए, इस प्रयोग में उसकी आंखों को कांच से और उसके चेहरे को प्लास्टिक ऑफ पेरिस की मदद से तैयार किया था। वह सात साल तक अपनी ‘दुल्हन’ के साथ रहा, जब तक कि उसके परिवार और पुलिस को उसके जघन्य कामों का पता नहीं चल गया।
डॉ. डेथ की घिनौनी हरकतें आज भी उतनी ही भयावह लगती हैं जितनी तब हुआ करती थीं, टेंजलर का जन्म 8 फरवरी 1877 को जर्मनी के ड्रेसडन (Dresden, Germany) में हुआ था। उन्होंने जर्मनी में मेडिकल की पढ़ाई की थी। कार्ल का मानना था कि उन्होंने 9 अलग-अलग विश्वविद्यालय की डिग्रियां हासिल की हैं। वह खुद को काफी दिमागदार लगाते थे, लेकिन बाद में जब लोगों के सामने उनकी दरिंदगी की कहानी आई तो हर कोई शाक्ड रह गया।
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डॉक्टर कार्ल के अनुसार उन्हें बचपन से ही एक सपना आता था, जिसमें खूबसूरत काले घने बालों वाली एक युवती उन्हें सपने में दिखाई देती थी। उनके सपने में उनकी एक पूर्वज महिला भी आती थी। वह महिला कहती थी कि यह युवती तुम्हारा असली प्यार है। बार-बार सपना आने के बाद कार्ल ने भी मान लिया कि यह युवती ही उनका असली प्यार है।
साल 1899 में कार्ल की शादी डोरिस शेफर (Doris Schäfer) से हुई थी। दोनों के दो बच्चे भी थे, अपनी पत्नी से भी कार्ल अक्सर अपने सपने के बारे में जिक्र किया करते थे। वह पत्नी से कहते थे कि उनका असली प्यार वह नहीं है बल्कि सपने में आने वाली घने बालों वाली युवती है। इसके बाद साल 1926 में वह अपने परिवार को जर्मनी में छोड़कर नौकरी के लिए अमेरिका आ गए।
इसके बाद साल 1930 के अप्रैल में मारिया एलेना ‘हेलेन’ (Maria Elena ‘Helen’) नाम की एक महिला टीबी का इलाज कराने आई। उसे देखकर कार्ल के होश उड़ गए क्योंकि उसका चेहरा हूबहू उसी युवती के जैसी थी जो उनके सपने में आया करती थी, उसे देखते ही कार्ल को प्यार हो गया। कार्ल से एलेना 32 साल छोटी थी। उम्र का बड़ा फासला होने के बाद भी कार्ल उससे प्यार करने लगे थे। उस समय टीबी का इलाज संभव नहीं था, इसलिए अस्पताल ने एलेना से कहा कि वह अब घर पर ही आराम करें, उन्हें अस्पताल आने की जरूरत नहीं है।
जब इस बात का पता कार्ल को चला तो वह काफी दुखी हुए और वह एलेना का इलाज अपने खर्च पर उसके घर में ही करने लगे। तमाम कोशिशों के बावजूद कार्ल एलेना को बचा नहीं पाए और 25 अक्टूबर 1931 को एलेना की मौत हो गई। इसके बाद एलेना के माता पिता से अनुरोध कर कार्ल ने एलेना के लिए कब्र बनवाई। कार्ल ने कब्र की सिर्फ एक चाबी बनवाई और उसे अपने पास ही रखा। डॉक्टर के दिमाग में अब भी एलेना को लेकर इस कदर पागलपन था कि वह रोज कब्र में जाते और दिन हो या रात घंटों वहीं बैठे रहते, उसकी कब्र के पास बैठकर वह उससे बातें किया करते थे।
अप्रैल 1933 को कार्ल चुपके से कब्र खोदकर एलेना की सड़ी गली लाश उठाकर घर ले आए। इसके बाद कार्ल ने मोम की मदद से एलेना के शरीर को बनाना शुरू किया, प्लास्टिक ऑफ पेरिस की मदद से उसके चेहरे को बनाया। आंखों पर दो कांच के गोले लगा दिए। इसके साथ ही सिर पर नकली बाल भी लगाए, 7 साल तक वह उसके साथ रहे। लाश का जब पोस्टमार्टम करवाया गया तो शव के अंदर योनि के आकार (Vagina) का एक पेपर ट्यूब मिला, जिसके बाद यह दावा किया गया कार्ल उसके साथ संबंध भी बनाते थे।
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