PM Modi will take a historic decision on OPS

OPS latest update: ओपीएस पर पीएम मोदी लेंगे एतिहासिक फैसला! सरकारी कर्मियों ने जंतर-मंतर पर फूंका बिगुल

OPS latest update: देशभर के हजारों कर्मचारियों ने नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के नेतृत्व में आज दिल्ली के जंतर मंतर पर पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली की मांग को लेकर विशाल रैली की।

Edited By :   Modified Date:  November 17, 2024 / 07:27 PM IST, Published Date : November 17, 2024/7:26 pm IST

नई दिल्ली: PM Modi will take a historic decision on OPS सरकारी कर्मचारी केंद्र सरकार द्वारा एनपीएस में सुधार कर लाई गई ‘यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ (यूपीएस) से संतुष्ट नहीं हैं। देशभर के 91 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी, पुरानी पेंशन बहाली के लिए ऑल इंडिया एनपीएस एम्पलाइज फेडरेशन (एआईएनपीएसईएफ) के बैनर तले एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन चला रहे हैं। इस आंदोलन का नाम ‘नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत’ रखा गया है। ‘नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत’ के द्वारा आज 17 नवंबर को नई दिल्ली में ओपीएस बहाली के लिए ‘पेंशन जयघोष महारैली’ का आयोजन किया गया।

देशभर के हजारों कर्मचारियों ने नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के नेतृत्व में आज दिल्ली के जंतर मंतर पर पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली की मांग को लेकर विशाल रैली की। इस पेंशन जयघोष महारैली की अध्यक्षता ऑल इंडिया एनपीएस एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने की। उन्होंने अपने संबोधन में भरोसा जताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर्मचारियों की इस महत्वपूर्ण मांग को जरूर सुनेंगे और समाधान करेंगे।

देशभर से कर्मचारियों ने लिया हिस्सा

PM Modi will take a historic decision on OPS रैली में जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों और केंद्र सरकार के विभागों के कर्मचारी बड़ी संख्या में शामिल हुए। इस आंदोलन को 100 से अधिक केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों के संगठनों का समर्थन मिला है, जो OPS की बहाली के लिए एकजुट हुए हैं।

ये हैं मुख्य मांगें

OPS latest update डॉ. पटेल ने रैली को संबोधित करते हुए कहा, “यह आंदोलन किसी राजनीतिक दल का हिस्सा नहीं है। हमारी एकमात्र अपील भारत सरकार से है कि कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए OPS बहाल की जाए।” फेडरेशन ने मुख्य रूप से दो मांगों को प्रमुखता से उठाया:

1. कर्मचारी अंशदान पर जीपीएफ की सुविधा।

2. 20 वर्षों की सेवा पर अंतिम वेतन के 50% के रूप में पेंशन की गारंटी।

उत्तर प्रदेश के कर्मचारी नेता क्रांति सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ऐतिहासिक फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि वे इस मांग को पूरा करेंगे।” सफाई कर्मचारी संघ के अध्यक्ष बसंत लाल गौतम ने कहा, “चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की आय और सेवानिवृत्ति पर NPS से कोई लाभ नहीं है। ऐसे में पुरानी पेंशन ही एकमात्र विकल्प है।”

कर्मचारियों की भावनाएं और समर्थन

महाराष्ट्र से आए ऑर्डनेंस फैक्ट्री के वरिष्ठ सदस्य मोहम्मद जुल्फिकार अहमद ने NPS को ‘पेंशन का निजीकरण’ करार देते हुए कहा कि इससे न तो सरकार को फायदा है और न ही कर्मचारियों को। फेडरेशन के महासचिव सुधीर रूपजी ने कहा, “मेडिकल सेक्टर में काम करने वाले नर्सेज और डॉक्टर हर दिन जोखिम उठाते हैं। NPS के चलते उनके रिटायरमेंट के बाद भी आर्थिक असुरक्षा बनी रहती है।”

आंदोलन की गूंज और उम्मीदें

रैली में आए सभी 40 प्रमुख कर्मचारी नेताओं ने एकमत से प्रधानमंत्री से पुरानी पेंशन योजना की बहाली की अपील की। उनका कहना है कि OPS की बहाली से न केवल कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित होगा बल्कि यह सरकार के प्रति उनका विश्वास भी मजबूत करेगा।

नई पेंशन योजना ‘यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ लागू करने की घोषणा

बता दें कि इस साल जब केंद्र सरकार ने एनपीएस में सुधार कर एक नई पेंशन योजना ‘यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ लागू करने की घोषणा की थी। हालांकि सरकार ने इसे अगले वर्ष पहली अप्रैल से लागू करने की बात कही है। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बुलाई गई कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक का बहिष्कार किया था। वजह, एआईडीईएफ की मांग थी कि पुरानी पेंशन बहाल की जाए। कर्मचारियों को एनपीएस में सुधार या कोई नई पेंशन योजना मंजूर नहीं है। दूसरे कर्मचारी संगठनों ने भी यूपीएस पर नाखुशी जताई।

इसके कुछ दिन बाद ही एनएमओपीएस ने 26 सितंबर को देश के सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। इनकी मांग थी कि कर्मचारियों को पुरानी पेंशन ही चाहिए। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के सदस्यों ने दो अक्टूबर को प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक वे गैर-अंशदायी ‘पुरानी पेंशन’ योजना हासिल नहीं कर लेते, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। इनके अलावा रेलवे के विभिन्न कर्मचारी संगठन भी यूनिफाइड पेंशन स्कीम के विरोध में खड़े हो गए हैं। वे भी आवाज बुलंद कर रहे हैं।

आंदोलन को दोबारा से प्रारंभ करने का निर्णय

एआईडीईएफ के महासचिव के अनुसार कर्मचारियों ने यूपीएस के खिलाफ अपने आंदोलन को दोबारा से प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। अंशदायी पेंशन योजना, ‘यूपीएस’ का पुरजोर विरोध किया जाएगा। पिछले 20 वर्षों से केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी, अंशदायी पेंशन योजना के खिलाफ लड़ रहे हैं। उनकी मांग, गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल कराना है। सरकारी कर्मचारियों के पास अब यही विकल्प बचा है कि वे यूपीएस में शामिल हों या एनपीएस में बने रहें।

बतौर श्रीकुमार, यूपीएस कुछ नहीं है, बल्कि एनपीएस का विस्तार है। राज्य सरकार के कर्मचारी संगठनों ने भी यूपीएस को खारिज कर दिया है। कई राज्यों में रैलियां और विरोध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। वे यूपीएस को स्वीकार नहीं कर सकते। वजह, यह एक अंशदायी प्रकृति की योजना है। कर्मचारियों की संचित निधि, जिसमें उन्होंने 3 दशकों से अधिक समय तक योगदान दिया है, उसे वापस नहीं लौटाया जाएगा। भले ही पेंशन की पात्रता 25 साल रखी गई है, लेकिन कर्मचारियों को पेंशन 60 साल की उम्र के बाद ही मिलेगी। पुरानी पेंशन योजना में मिलने वाले कई लाभ एनपीएस/यूपीएस में नहीं मिलते हैं। यूपीएस में सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलती।

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