तीन की जगह अब चार साल का होगा ग्रेजुएशन कोर्स, फिर कर सकते हैं सीधे पीएचडी | Graduation course will be four years now instead of three, then you can directly PhD

तीन की जगह अब चार साल का होगा ग्रेजुएशन कोर्स, फिर कर सकते हैं सीधे पीएचडी

तीन की जगह अब चार साल का होगा ग्रेजुएशन कोर्स, फिर कर सकते हैं सीधे पीएचडी

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:48 PM IST
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Published Date: September 3, 2019 8:58 am IST

नईदिल्ली। विश्वविद्यालयों में संचालित स्नातक पाठ्यक्रमों की अवधि तीन से बढ़ाकर चार साल की जा सकती है, इस विषय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विचार कर रहा है। चार साल के स्नातक के बाद छात्र सीधे पीएचडी कर सकेगें अर्थात फिर पीएचडी के लिए स्नातकोत्तर होना अनिवार्य नहीं होगा।

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विश्वविद्यालयों में वर्तमान में स्नातक पाठ्यक्रम तीन साल का और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम दो साल का होता है। इसके बाद ही किसी विद्यार्थी को पीएचडी में प्रवेश मिल सकता है। ऐसे में यूजीसी देश की शिक्षा नीति में बड़े स्तर पर फेरबदल करने जा रहा है। इसके लिए यूजीसी ने एक विशेषज्ञ समिति गठित की है। इसी कमेटी ने शिक्षा नीति में बदलाव के लिए यूजीसी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें कई सिफारिशें की गई हैं।

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स्नातक पाठ्यक्रम के चौथे साल में शोध को केंद्र में रखा जा सकता है। वहीं, इस दौरान विश्वविद्यालयों को तीन वर्षीय परंपरागत स्नातक पाठ्यक्रम चलाने की छूट भी मिलेगी। इसके अलावा अगर कोई विद्यार्थी चार साल का स्नातक पाठ्यक्रम करने के बाद पीएचडी के बजाय स्नातकोत्तर करना चाहता है तो उसे ऐसा करने की छूट मिलेगी। वर्तमान में तकनीकी शिक्षा के बैचलर ऑफ टेक्नॉलॉजी (बीटेक) या बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम हैं। उनके बाद विद्यार्थी सीधे पीएचडी में प्रवेश ले सकते हैं।

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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. डीपी सिंह ने कहा है कि शिक्षा नीति में बदलाव के पहले गठित कमेटी ने रिपोर्ट में स्नातक पाठ्यक्रम की अवधि तीन से बढ़ाकर चार साल किए जाने की सिफारिश की है। इसके अलावा भी कमेटी ने कई सिफारिशें की हैं। हर सिफारिश पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। यह नीति देश को नई दिशा देने वाली होगी। इस वजह से इसके हर बिंदु को अच्छी तरह से परख कर ही लागू किया जाएगा। नई नीति अगले साल से लागू की जा सकती है।

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