(जेनिफर किंग, सिडनी विश्वविद्यालय)
सिडनी, 11 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) एक यूरोगायनेकोलॉजिस्ट के रूप में मैं विशेष रूप से ‘पेल्विक फ्लोर’ की समस्या से ग्रस्त महिलाओं का इलाज करती हूं। ये वे महिलाएं हैं जिनके मूत्राशय से स्राव होने की समस्या होती है और सहायक ऊतक कमजोर होते हैं जिससे योनि की मांसपेशियां बाहर की ओर उभर जाती हैं।
‘पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स’ (पीओपी) यानी परेशान करने वाला या शर्मनाक हो सकता है और रोजमर्रा की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न कर सकता है। लेकिन यह आम भी है। कई महिलाओं के लिए इसका उपचार सरल, प्रभावी है और इसमें सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है।
‘पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स’ क्या है?
‘पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स’ तब होता है जब योनि को सहारा देने वाली मांसपेशियां और लिगामेंट कमजोर हो जाते हैं, जिससे योनि के ऊतक ढीले हो जाते हैं या उनमें खिंचाव आ जाता है। इससे योनि की संरचना के पीछे स्थित पैल्विक (श्रोणि) के अंग जैसे मूत्राशय, आंत और गर्भाशय अपने स्थान से हट सकते हैं।
एक या उससे ज्यादा अंग प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन उनके बाहर की ओर उभरने के अलावा, इन अंगों के काम करने के तरीके में कोई समस्या नहीं होती है।
प्रोलैप्स की व्याख्या आमतौर पर इस आधार पर की जाती है कि कौन सा अंग नीचे की ओर उभरा है, उदाहरण के लिए ‘‘मूत्राशय प्रोलैप्स’’ (सिस्टोसील)। गंभीरता को इस आधार पर वर्गीकृत किया जाता है कि योनि की दीवार अपनी पिछली स्थिति से कितनी नीचे की ओर लटकी है।
इससे कैसा महसूस होता है?
ज्यादातर महिलाओं को तब तक पता नहीं चलता कि कोई अंग बाहर की ओर उभर आया है जब तक कि उन्हें योनि द्वार से कोई उभार नजर न आए। जब वे धुल रही होती हैं, तो उन्हें योनि में एक नरम गांठ उभरी हुई महसूस हो सकती है।
कई को सामान्य तौर पर यह अहसास होता है कि ‘‘कुछ नीचे लटका हुआ है।’’
अन्य महिलाओं को यह महसूस हो सकता है कि जब वे ‘ट्रैम्पोलिन’ पर कूद रही होती हैं या जिम में दौड़ रही होती हैं, तब उनके मूत्राशय से स्राव होता हो और वे नियंत्रित नहीं की सकें या शायद उन्हें ‘टैम्पोन’ को सही जगह पर रखना पहले से ज़्यादा मुश्किल लगता है।
किताना सामान्य है यह समस्या?
प्रोलैप्स बहुत आम है और उम्र के साथ इसकी आशंका बढ़ जाती है। नियमित योनि जांच (उदाहरण के लिए, गर्भाशय ग्रीवा की जांच के लिए) के आधार पर, विकसित देशों में आसानी से 50 प्रतिशत महिलाओं को प्रोलैप्स के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। इनमें से अधिकांश में कोई लक्षण नहीं होते।
जब योनि में उभार या पेशाब करने में कठिनाई जैसे लक्षणों से परिभाषित किया जाता है, तो लगभग पांच प्रतिशत में विशिष्ट लक्षण होंगे।
‘पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स’ का क्या कारण है?
गर्भावस्था और योनि से जन्म के कारण आमतौर पर शारीरिक परिवर्तन होते हैं, जैसे कि योनि के ऊतकों में शिथिलता। ज्यादातर महिलाओं के लिए ये मामूली होते हैं, लेकिन कुछ के लिए, प्रोलैप्स जीवन की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
गर्भावस्था के बाद कुछ महिलाओं को शारीरिक गतिविधियों को समायोजित करने की आवश्यकता महसूस हो सकती है; विशेष रूप से उच्च प्रभाव वाले व्यायाम या बार-बार भारी वजन उठाने से बचना, क्योंकि इससे प्रोलैप्स के लक्षण अधिक स्पष्ट हो सकते हैं।
‘सीजेरियन सेक्शन’ के जरिए बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं में प्रोलैप्स की संभावना कम होती है। हालांकि, सीजेरियन सेक्शन में गंभीर जटिलताओं का जोखिम होता है, इसलिए इसे केवल ‘पेल्विक फ्लोर’ समस्याओं से बचने के लिए अनुशंसित नहीं किया जा सकता है।
सामान्य प्रसव के बाद, उम्र बढ़ना प्रोलैप्स का दूसरा सबसे आम कारण है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ और खास तौर पर रजोनिवृत्ति के बाद ‘पेल्विक फ्लोर’ की ताकत कम होती जाती है।
अत्यधिक वजन उठाने और उच्च प्रभाव वाले व्यायाम से भी ये मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं।
फेफड़ों की दीर्घकालिक समस्याएं, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल, कब्ज और मोटापा प्रोलैप्स और असंयम की गंभीरता को और बढ़ा देते हैं।
कुछ महिलाओं में आनुवंशिक रूप से खराब गुणवत्ता वाले ‘कनेक्टिंग’ ऊतक होते हैं, जिससे उन्हें अधिक खतरा होता है।
इसका इलाज कैसे होता?
गंभीर प्रोलैप्स योनि के माध्यम से फैलता है और काफी असुविधाजनक होता है। इसका इलाका सामान्य तौर पर सर्जरी से किया जाता है।
लेकिन हमेशा सर्जरी जरूरी नहीं। विकसित देशों में पेल्विक प्रोलैप्स से पीड़ित लोगों में से केवल 6-18 प्रतिशत को ही सर्जरी करानी पड़ती है। मामूली मामलों के लिए चिकित्सक आमतौर पर ‘पेल्विक फ्लोर थेरेपी’ की अनुशंसा करते हैं।
संरचित पेल्विक फ्लोर मांसपेशी व्यायाम (आमतौर पर कुछ समय तक एक चिकित्सक के साथ) प्रोलैप्स होने पर प्रारंभिक उपचार के रूप में प्रभावी होते हैं। देर से गर्भावस्था के दौरान पेल्विक फ्लोर प्रशिक्षण का उपयोग आगे के प्रोलैप्स या मूत्र असंयम के उपचार और रोकथाम के लिए भी किया जा सकता है।
दिलचस्प बात यह है कि सामान्य शारीरिक ताकत और तंदरुस्ती से ‘पेल्विक फ्लोर’ की मांसपेशियां मजबूत नहीं होतीं, बल्कि विशिष्ट व्यायाम से ही यह संभव है।लेकिन अपने वजन को नियंत्रण में रखना और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों का प्रबंधन करना, लक्षणों को कम करने में मददगार हो सकता है।
योनि के भीतर इस्तेमाल किए जाने वाले सहायक उपकरण, जिन्हें ‘पेसरी’ कहा जाता है, भी लक्षणों को काफी हद तक कम कर सकते हैं। ये आमतौर पर योनि की दीवारों को सहारा देने के लिए सिलिकॉन रिंग या डिस्क होते हैं। इन्हें चिकित्सक, नर्स या फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा लगाया जा सकता है और महिलाएं भी खुद ही इनका प्रबंधन कर सकती हैं।
प्रोलैप्स मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का कारण भी बन सकता है। कुछ महिलाओं को अपने शरीर की बनावट में विकृति महसूस हो सकती है जिससे चिंता या अवसाद का अनुभव हो सकता है, जिसके लिए विशेष प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
सर्जरी में क्या-क्या शामिल है?
गंभीर मामलों में, यदि पारंपरिक इलाज (जैसे पेल्विक फ्लोर मांसपेशी प्रशिक्षण) अप्रभावी रहा हो, तो चिकित्सक सर्जरी की सिफारिश कर सकते हैं।
सर्जरी उन असामान्य अवस्था में भी आवश्यक हो सकती है जहां प्रोलैप्स गुर्दे या आंत के कार्य को प्रभावित कर रहा है। इन स्थितियों में सर्जरी से जिंदगी फिर से सामान्य हो सकती है।
प्रोलैप्स के लिए सर्जरी पेट के माध्यम से (आमतौर पर कीहोल एप्रोच) या योनि के माध्यम से की जा सकती है। दुर्भाग्य से यह सर्जरी हमेशा सफल नहीं होती, विशेषतौर पर तब जब ऊतक बहुत कमजोर हों। लगभग 25 प्रतिशत महिलाओं को आगे की सर्जरी की जरूरत हो सकती है।
(द कन्वरसेशन) धीरज संतोष
संतोष
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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