ईस्टर्न एक्वाइन इंसेफेलाइटिस क्या होता है? |

ईस्टर्न एक्वाइन इंसेफेलाइटिस क्या होता है?

ईस्टर्न एक्वाइन इंसेफेलाइटिस क्या होता है?

:   Modified Date:  September 1, 2024 / 04:54 PM IST, Published Date : September 1, 2024/4:54 pm IST

(कैमरून वेब, सिडनी विश्वविद्यालय और एंड्रयू वैन डेन हर्क, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय)

सिडनी, एक सितंबर (द कन्वरसेशन) अमेरिका में स्वास्थ्य अधिकारी एक दुर्लभ लेकिन संभावित रूप से मच्छर जनित घातक बीमारी के कारण चेतावनी जारी कर रहे हैं और सार्वजनिक पार्कों को बंद किया जा रहा है।

इस सप्ताह, अमेरिका के न्यू हैम्पशायर प्रांत के एक व्यक्ति की ईस्टर्न एक्वाइन इंसेफेलाइटिस के कारण अस्पताल में भर्ती होने के बाद मृत्यु हो गई। अमेरिका के अन्य प्रांतों में भी इस बीमारी के मामले सामने आए हैं।

लेकिन ईस्टर्न एक्वाइन इंसेफेलाइटिस क्या है? यह कैसे फैलता है? जैसा कि नाम से पता चलता है, क्या घोड़ों का इससे लेना-देना है? और क्या यह ऑस्ट्रेलिया के लिए एक समस्या है?

ईस्टर्न एक्वाइन इंसेफेलाइटिस क्या होता है?—–

ईस्टर्न एक्वाइन इंसेफेलाइटिस एक वायरस के कारण होता है जो आमतौर पर केवल अमेरिका के कुछ पूर्वी हिस्सों में पाया जाता है, मध्य अमेरिका से लेकर कनाडा तक।

ईस्टर्न एक्वाइन इंसेफेलाइटिस का वायरस तंत्रिका संबंधी रोग, विशेष रूप से इंसेफेलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन और सूजन) का कारण बनता है और मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है। इस बीमारी के लक्षण गंभीर और संभावित रूप से घातक हो सकते हैं।

लेकिन, इस वायरस वाले मच्छर द्वारा काटे गए अधिकतर लोगों में इसके लक्षण नहीं दिखते हैं। जिन लोगों में बीमारी विकसित होती है, उनमें सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, भ्रम, दौरे और कोमा जैसे लक्षण शामिल होते हैं।

इस बीमारी से पीड़ित गंभीर लक्षण वाले लगभग एक तिहाई रोगियों की मृत्यु हो जाती है तथा जो बच जाते हैं उनमें से कई लोगों को तंत्रिका संबंधी समस्याएं बनी रहती हैं।

इस वायरस से केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि घोड़े भी प्रभावित हो सकते हैं और मनुष्यों की तरह संक्रमित मच्छर के काटने से उन्हें भी घातक इंसेफेलाइटिस हो सकता है।

इस वायरस की खोज 1831 में अमेरिका के न्यू इंग्लैंड क्षेत्र में घोड़ों में घातक बीमारी के प्रकोप के बाद हुई थी, इसलिए इसके नाम में अश्व रोग का उल्लेख किया गया है।

जंगली, पालतू और पिंजरे में बंद पक्षी भी इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं और कुछ प्रजातियों में बीमारी विकसित हो सकती है। दरअसल, पक्षी इस वायरस के फैलने में अहम भूमिका निभाते हैं।

ईस्टर्न एक्वाइन इंसेफेलाइटिस वायरस कैसे फैलता है?

पक्षी – विशेष रूप से पैसेरिन, एक समूह जिसमें रॉबिन, स्टार्लिंग, थ्रश और ब्लू जे शामिल हैं – इनमें वायरस प्रमुख रूप से रहता है।

ये पक्षी काटने वाले मच्छरों को संक्रमित करने के लिए पर्याप्त मात्रा में विषाणु उत्पन्न करते हैं, तथा एक ‘संक्रमण चक्र’ के रूप में जाना जाने वाला चक्र बनाए रखते हैं।

वन क्षेत्र में पक्षियों का भोजन बनने वाले मच्छर, खास तौर पर कुलीसेटा मेलानुरा, वायरस को पक्षियों में फैलाते हैं। लेकिन, यह मच्छर शायद ही कभी लोगों को काटता है, इसलिए इसके मनुष्यों में रोग का रूप लेने की आशंका बेहद कम है।

यह मच्छर ही हैं जो पक्षियों और स्तनधारियों दोनों को काटते हैं और मनुष्यों तथा घोड़ों में यह वायरस फैलाते हैं। इन मच्छरों में एडीज, कोक्विलेटिडिया और क्यूलेक्स मच्छर शामिल हैं। लेकिन, एक बार संक्रमित होने के बाद, मनुष्य और घोड़े वायरस नहीं फैलाते। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे मच्छरों को संक्रमित करने के लिए पर्याप्त मात्रा में वायरस का उत्पादन नहीं करते हैं।

हम इसके प्रसार को कैसे सीमित कर सकते हैं?

ईस्टर्न एक्वाइन इंसेफेलाइटिस वायरस के संक्रमण के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, या लोगों में इससे बचाव के लिए कोई लाइसेंस प्राप्त टीका नहीं है। जबकि घोड़ों में वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पशु चिकित्सा उपयोग के लिए एक टीका पंजीकृत है।

व्यक्तिगत सुरक्षा उपाय और मच्छर नियंत्रण, लोगों को वायरस के संपर्क में आने से रोकने की प्रमुख रणनीतियां हैं।

इस प्रकोप का समुदायों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है, न केवल रोग के कारण, बल्कि संक्रमण को सीमित करने के लिए लागू किए गए उपायों के कारण भी।

द कन्वरसेशन रवि कांत नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)