(स्टीफन वोल्फ, बर्मिंघम विश्वविद्यालय)
बर्मिंघम, सात नवंबर (द कन्वरसेशन) रिपब्लिकन नेतृत्व वाली अमेरिकी सीनेट के साथ जनवरी 2025 में व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के अलावा अमेरिका के विरोधियों के लिए क्या मायने हैं।
यूक्रेन में युद्ध के मामले में, ट्रंप कीव और मॉस्को को कम से कम मौजूदा मोर्चे पर युद्ध विराम के लिए मजबूर करने की कोशिश कर सकते हैं। इसमें संभवतः एक स्थायी समझौता शामिल हो सकता है जिसमें रूस के कब्जे वाले क्षेत्रों के लिए एक व्यवस्था होगी और इसमें 2014 में क्रीमिया का विलय और फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से कब्जा किए गए क्षेत्र शामिल हैं।
यह भी संभावना है कि ट्रंप भविष्य में यूक्रेन को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का सदस्य बनने से रोकने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मांगों को स्वीकार कर लेंगे। नाटो के प्रति ट्रंप के नकारात्मक रवैये के मद्देनजर यह कीव के यूरोपीय सहयोगियों पर भी एक महत्वपूर्ण दबाव होगा।
ट्रंप एक बार फिर यूरोपीय देशों को यूक्रेन के मुद्दे पर पुतिन के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए गठबंधन छोड़ने की धमकी दे सकते हैं।
पश्चिम एशिया की बात करें तो ट्रंप पहले भी इजराइल और सऊदी अरब के कट्टर समर्थक रहे हैं। उनके, ईरान के खिलाफ और भी सख्त रुख अपनाने की संभावना है, जो इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मौजूदा प्राथमिकताओं के साथ मेल खाता है।
ट्रंप का राष्ट्रपति चुना जाना नेतन्याहू को कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करेगा, और यह बदले में पुतिन के प्रति ट्रंप की स्थिति को भी मजबूत करेगा, जो यूक्रेन में अपने युद्ध के लिए ईरानी समर्थन पर निर्भर हो गए हैं।
चीन के साथ संबंधों पर प्रभाव :
यूक्रेन और पश्चिम एशिया, दो ऐसे क्षेत्र हैं जहां ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने पर परिवर्तन नजर आने की संभावना है। साथ ही चीन के साथ अमेरिकी संबंधों में भी बदलाव की अपेक्षा अधिक रहेगी।
चीन के साथ संबंध संभवतः अमेरिका के लिए विदेश नीति की एक प्रमुख रणनीतिक चुनौती होने के कारण, बाइडन प्रशासन ने ट्रंप द्वारा अपने पहले कार्यकाल में अपनाई गई कई नीतियों को जारी रखा है, और ट्रंप द्वारा दूसरे कार्यकाल में उन पर दोगुना जोर देने की संभावना है।
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा आयात शुल्क बढ़ाने की संभावना है, और उन्होंने चीन को निशाना बनाने के लिए इस कदम का उपयोग करने के बारे में बहुत कुछ कहा है। दूसरी तरफ, ट्रंप के चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ व्यावहारिक, लेन-देन संबंधी सौदों के लिए भी खुले रहने की संभावना है।
नाटो में अपने यूरोपीय सहयोगियों के साथ संबंधों की तरह ही, ताइवान और एशिया में फिलीपीन, दक्षिण कोरिया और संभावित रूप से जापान सहित अन्य संधि सहयोगियों की रक्षा के लिए ट्रंप की प्रतिबद्धता पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न लटका हुआ है। ट्रंप अमेरिकी सुरक्षा गारंटी के मामले में सबसे ज्यादा उदासीन हैं।
लेकिन जैसा कि ट्रंप के पहले कार्यकाल में उत्तर कोरिया के साथ उनके उतार-चढ़ाव भरे संबंधों से पता चलता है, ट्रंप कई बार खतरनाक तरीके से युद्ध की स्थिति तक पहुंचने के लिए तैयार रहते हैं। ऐसा 2017 में उत्तर कोरिया द्वारा अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण की प्रतिक्रिया में हो चुका है।
(द कन्वरसेशन) शफीक मनीषा
मनीषा
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