वरिष्ठ श्रीलंकाई राजनीतिज्ञ और तमिल नेता सम्पंथन का निधन |

वरिष्ठ श्रीलंकाई राजनीतिज्ञ और तमिल नेता सम्पंथन का निधन

वरिष्ठ श्रीलंकाई राजनीतिज्ञ और तमिल नेता सम्पंथन का निधन

:   Modified Date:  July 1, 2024 / 06:58 PM IST, Published Date : July 1, 2024/6:58 pm IST

कोलंबो, एक जुलाई (भाषा) वरिष्ठ श्रीलंकाई राजनीतिज्ञ और उदारवादी तमिल नेता आर. सम्पंथन का रविवार रात निधन हो गया। सम्पंथन ने द्वीपीय राष्ट्र में तमिल नागरिकों के लिए शांति, न्याय और सम्मान का जीवन सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास किए।

तमिल नेशनल अलायंस ने घोषणा की कि सम्पंथन (91) का एक अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया।

सम्पंथन ने 2004 से तमिल नेशनल अलायंस (टीएनए) का नेतृत्व किया और सिंहली बहुल देश में मुख्य विपक्षी नेता बनने वाले दूसरे तमिल बने। वह बीमार होने के कारण लंबे समय से संसद के मौजूदा सत्र में शामिल नहीं हो रहे थे।

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने एक संदेश में कहा कि सम्पंथन ने देश में विभाजन को पाटने के लिए ‘अथक’ काम किया और उनके निधन पर पूरे देश में शोक मनाया जाएगा।

उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैं श्री आर. सम्पंथन के निधन पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। एक राष्ट्रीय नेता के रूप में, उन्होंने हमारे देश में विभाजन को पाटने के लिए अथक काम किया। उनके निधन पर पूरे देश में शोक मनाया जाएगा।’’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंकाई तमिल नेता के साथ अपनी मुलाकात की तस्वीर के साथ सोमवार को ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘टीएनए के दिग्गज नेता आर. सम्पंथन के परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।’

मोदी ने लिखा, ‘उनके साथ हुई मुलाकातों की यादें हमेशा संजोकर रखूंगा। उन्होंने श्रीलंका के तमिल नागरिकों के लिए शांति, सुरक्षा, समानता, न्याय और सम्मान का जीवन जीने के लिए अथक प्रयास किए। श्रीलंका और भारत में उनके दोस्तों और समर्थकों को उनकी बहुत याद आएगी।’

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सम्पंथन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ‘एक्स’ पर कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन द्वीपीय राष्ट्र में तमिलों के लिए समानता, सम्मान और न्याय की लड़ाई के लिए समर्पित कर दिया।

उन्होंने कहा, ‘श्रीलंकाई तमिल नेता श्री आर. सम्पंथन के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ। कई दशकों के दौरान उनके साथ मेरी कई मुलाकातें और बातचीत याद आती हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन श्रीलंका में तमिलों के लिए समानता, सम्मान और न्याय की लड़ाई के लिए समर्पित कर दिया। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं।’

भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा ने भी ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि वरिष्ठ नेता को ‘श्रीलंकाई तमिलों के हित में उनके महत्वपूर्ण योगदान’ और ‘भारत के प्रति सद्भावना’ के लिए याद किया जाएगा।

झा ने कहा, ‘टीएनए नेता श्री आर. सम्पंथन के निधन पर बहुत दुख हुआ। कई मौकों पर उनसे मुलाकात और बातचीत की। श्रीलंकाई तमिलों के हित में उनके महत्वपूर्ण योगदान और भारत के प्रति उनकी सद्भावना के लिए उन्हें याद किया जाएगा। उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति हार्दिक संवेदना।’

श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने भी सम्पंथन के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘टीएनए नेता आर. सम्पंथन के निधन पर मेरी गहरी संवेदना। वह मेरे पुराने मित्र और सहयोगी थे और हम विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते थे। उनका निधन श्रीलंका की राजनीतिक बिरादरी के लिए एक क्षति है और उनके परिवार और दोस्तों को इस दुखद क्षति से उबरने की कामना करता हूं।’

श्रीलंका के विपक्षी नेता सजिथ प्रेमदासा ने भी सम्पंथन के निधन पर शोक व्यक्त किया।

वहीं श्रीलंका में अमेरिकी राजदूत जूली चुंग ने कहा, ‘श्रीलंका के भीतर एक सामंजस्यपूर्ण, शांतिपूर्ण समाज बनाने के लिए काम करने वाले एक अनुभवी तमिल नेता आर. सम्पंथन के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ। अल्पसंख्यकों के लिए समान अधिकारों की उनकी वकालत ने सभी श्रीलंकाई नागरिकों के लिए व्यापक मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने और एकता को प्रोत्साहित करने में मदद की। अमेरिका की ओर से, मैं उनके परिवार, दोस्तों और प्रियजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।’

सम्पंथन एक उदारवादी तमिल थे, जो राजनीतिक स्वायत्तता के लिए तमिल मांग के लिए बातचीत के जरिए राजनीतिक समाधान प्राप्त करने के लिए राजनीतिक आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे।

तमिलों ने 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से ही स्वायत्तता की अपनी मांग को आगे बढ़ाया, जो 70 के दशक के मध्य से खूनी सशस्त्र संघर्ष में बदल गया।

सम्पंथन 2015 में विपक्ष के नेता बने और 2019 तक एक नए संविधान का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल रहे। वह एक प्रतिभाशाली वकील थे। सम्पंथन पहली बार 1977 में त्रिंकोमाली के पूर्वी बंदरगाह जिले से निर्वाचित होकर संसद पहुंचे थे।

भाषा अमित प्रशांत

प्रशांत

 

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