संयुक्त राष्ट्र, 12 दिसंबर (एपी) संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गाजा में तत्काल सघर्ष विराम की मांग करने वाले प्रस्तावों को भारी बहुमत से मंजूरी दे दी है तथा फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी का समर्थन किया है, जिस पर इजराइल ने प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा है।
193 सदस्यीय विश्व संस्था में संघर्ष विराम की मांग वाले प्रस्ताव के पक्ष में 158 वोट पड़े जबकि विरोध में नौ वोट पड़े। मतदान में 13 सदस्य अनुपस्थित थे।
वहीं, यूएनआरडब्ल्यूए नामक एजेंसी के समर्थन में नौ के मुकाबले 159 वोट पड़े तथा 11 सदस्य अनुपस्थित थे।
मतदान के बाद दो दिनों तक बहस का दौर चला, जिसमें इजराइल और उग्रवादी हमास समूह के बीच 14 महीने से जारी युद्ध को समाप्त करने की मांग की गई।
इजराइल और उसके करीबी सहयोगी अमेरिका ने प्रस्तावों के विरोध में मतदान किया।
सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी होते हैं, लेकिन महासभा के प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं होते। हालांकि, वे विश्व की राय को दर्शाते हैं। महासभा में कोई वीटो नहीं होता।
सुरक्षा परिषद में गाजा में तत्काल संघर्ष विराम संबंधी प्रस्ताव पर अमेरिका ने 20 नवंबर को वीटो कर दिया था, जिसके बाद फलस्तीन और उनके समर्थकों ने महासभा का रुख किया। प्रस्ताव में गाजा में तत्काल गाजा संघर्ष विराम की मांग की गई थी।
परिषद के 14 अन्य सदस्यों ने इसका समर्थन किया, लेकिन अमेरिका ने इस बात पर आपत्ति जताई कि इसमें संबंध सात अक्टूबर, 2023 को इजराइल पर हमले के दौरान हमास के आतंकवादियों द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की तत्काल रिहाई की बात नहीं की गई है, जिससे युद्ध शुरू हुआ था।
दूसरा प्रस्ताव फलस्तीन शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) से संबंधित था जिसका महासभा ने समर्थन किया। महासभा ने यूएनआरडब्ल्यूए की स्थापना 1949 में की थी।
प्रस्ताव में इजराइल की संसद द्वारा 28 अक्टूबर को पारित उन कानूनों की निंदा की गई है, जिसमें फलस्तीनी क्षेत्रों में यूएनआरडब्ल्यूए की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया गया है। यह कानून 90 दिनों में प्रभावी हो जाएगा।
यह संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के उन बयानों का समर्थन करता है कि यूएनआरडब्ल्यूए गाजा में सभी मानवीय कार्यों की ‘‘रीढ़’’ है और कोई भी संगठन इसकी जगह नहीं ले सकता।
एपी सुरभि नरेश
नरेश
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