(उज्मी अतहर)
बाकू, 16 नवंबर (भाषा) संयुक्त राष्ट्र जलवायु प्रमुख साइमन स्टील ने साहसिक जलवायु कार्रवाई को ‘‘जी20 समूह की प्रत्येक अर्थव्यवस्था के लिए स्व-संरक्षण’’ उपाय बताते हुए, रियो डे जेनेरियो जा रहे समूह के नेताओं से शनिवार को आग्रह किया कि वे जलवायु-संचालित आर्थिक तबाही को रोकने के लिए उत्सर्जन में तेजी से कटौती करें।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन 18 और 19 नवंबर को होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले नेताओं में शामिल हैं।
अजरबैजान की राजधानी बाकू में सीओपी29 में अपने संबोधन में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसी) के कार्यकारी सचिव स्टील ने कहा कि जी20 का गठन उन समस्याओं से निपटने के लिए किया गया था, जिन्हें कोई भी देश या देशों का समूह अकेले नहीं सुलझा सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘इस आधार पर, अगले सप्ताह रियो में वैश्विक जलवायु संकट को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।’’
स्टील ने कहा कि जलवायु प्रभाव पहले से ही हर जी20 अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर रहे हैं, लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, आपूर्ति शृंखलाओं और खाद्य कीमतों को प्रभावित कर रहे हैं और मुद्रास्फीति को बढ़ावा दे रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हर जी20 अर्थव्यवस्था के लिए साहसिक जलवायु कार्रवाई बुनियादी स्व-संरक्षण है। उत्सर्जन में तेजी से कटौती के बिना, कोई भी जी20 अर्थव्यवस्था जलवायु-संचालित आर्थिक तबाही से बच नहीं पाएगी।’’
स्टील ने कहा, ‘‘लेकिन एक अच्छी खबर भी है।’’
उन्होंने कहा कि अकेले इस साल ही स्वच्छ ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के लिए 2 हजार अरब अमेरिकी डॉलर मुहैया होने की उम्मीद है, जो जीवाश्म ईंधन पर व्यय किये जाने वाले धन का दोगुना है।
स्टील ने कहा कि वैश्विक जलवायु वित्त को बढ़ावा देना यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि सभी देश साहसिक जलवायु कार्रवाई के व्यापक लाभों को साझा कर सकें, जिनमें टिकाऊ विकास, अधिक नौकरियां, कम प्रदूषण, और अधिक सुरक्षित तथा सस्ती ऊर्जा शामिल हैं।
स्टील ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर जलवायु वित्त पर कदम बढ़ाने के लिए हमारी सीओपी प्रक्रिया के अंदर और बाहर दोनों जगह कार्रवाई की आवश्यकता है।’’
यहां वार्षिक जलवायु सम्मेलन (सीओपी) में 190 से अधिक देशों के वार्ताकार एक नए जलवायु वित्त लक्ष्य पर चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। दो सप्ताह के सम्मेलन के पहले सप्ताह के अंत में उन्होंने कहा, ‘‘अभी लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन सीओपी के आधे रास्ते पर सभी लोग इस बारे में बहुत जागरूक हैं कि क्या दांव पर लगा है।’’
संयुक्त राष्ट्र के कार्यकारी सचिव ने कहा कि संकटपूर्ण समय और खंडित विश्व में, जी20 नेताओं को जोरदार और स्पष्ट संकेत देना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग अभी भी मानवता के पास ग्लोबल वार्मिंग से बचने का सबसे अच्छा और एकमात्र मौका है। ‘‘इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं है।’’
जी20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका के साथ-साथ यूरोपीय संघ और अफ्रीकी संघ शामिल हैं। वे वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत और लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
भाषा सुभाष वैभव
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