नई दिल्ली। तीन महीनों में कोरोना वायरस ने दुनियाभर को चिंता में डाल रखा है, लेकिन इन सबके बीच सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात ये है कि इस वायरस की वजह से बुजुर्गों की मौत सबसे ज्यादा हो रही है। वरिष्ठ नागरिकों की मौत की गुत्थी सुलझ नहीं रही थी। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने अपनी पड़ताल में ये गुत्थी सुलझा ली है।
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अमेरिकी वैज्ञानिकों ने चीन और अन्य देशों में कोरोना वायरस से मरे बुजुर्गों की सघन जांच की है, इसमें पता चला है कि कोरोना वायरस उन वरिष्ठों के लिए ज्यादा खतरनाक है जो पहले से ही दिल, किडनी, फेफड़े की बीमारी से ग्रसित हैं। ये वायरस उन लोगों पर भी ज्यादा गंभीर साबित हो रहा है जो डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं।
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वैज्ञानिकों का कहना है कि 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग पहले से ही किसी गैर-संक्रामक रोग से ग्रसित होते हैं। साथ ही इस उम्र में इम्यूनिटी भी कम हो जाती है, यही कारण है कि बुजुर्गों के लिए कोरोना वायरस घातक साबित हो रहा है। वैज्ञानिकों के एक टीम ने कोरोना वायरस के हमले की भी जांच की है।
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अपने शोध में इन्होने पाया कि कोरोना वायरस सार्स और मर्स जैसे फ्लू वायरस से बिलकुल अलग है। सार्स और मर्स किसी व्यक्ति पर सीधे अटैक करते थे और इसका असर एकदम शुरू में ही दिखने लगता है। लेकिन कोरोना इनसे अलग है। ये मरीज में काफी धीरे-धीरे अपना असर दिखाना शुरू करता है।
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यही वजह है कि जब तक मरीज अस्पताल में इसकी शिकायत करता है काफी देर हो चुकी होती है, वैज्ञानिकों का कहना है कि जरा भी सांस में तकलीफ या हल्का बुखार भी लगता है तो बुजुर्गों को तत्काल डॉक्टर के पास ले जाना फायदेमंद साबित हो सकता है।
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