वाशिंगटन, 20 जुलाई (एपी) अमेरिका में अब्राहम लिंकन के राष्ट्रपति रहने के दौरान कोई भी व्यक्ति व्हाइट हाउस आकर उनसे मिल सकता था।
इनमें कई लोग थे। ऐसी माताएं थीं जो अपने बेटों को सैन्य सेवा से मुक्त करवाना चाहती थीं, ऐसी पत्नियां थीं जो अपने पतियों को जेल से मुक्त कराना चाहती थीं, और कुछ लोग ऐसे भी थे जो केवल राष्ट्रपति से मिलना चाहते थे।
जेम्स बी कोनरॉय ने अपनी पुस्तक ‘लिंकन्स व्हाइट हाउस: द पीपल्स हाउस इन वारटाइम’ में इस तरह की रोचक जानकारी दी है।
किताब में लिखा गया है कि 1860 के दशक से दुनिया में बहुत बदलाव आया है, और इसी तरह राष्ट्रपतियों की सुरक्षा भी बदल गई है। राष्ट्रपतियों की सुरक्षा करने वाली ‘सीक्रेट सर्विस’ की एक सदी से भी ज्यादा अवधि में इसके सुरक्षा व्यवस्था के आकार, जिम्मेदारी और तकनीक में काफी इजाफा हुआ है।
इसके अनुसार, जब राष्ट्रपति व्हाइट हाउस छोड़ते हैं तो उनके साथ ‘सीक्रेट सर्विस’ के अधिकारियों और एजेंटों की एक टीम होती है। 1600 पेंसिल्वेनिया एवेन्यू में अकसर ‘‘लोगों का घर’’ कहे जाने वाले स्थान से अब कार नहीं गुजर सकतीं। बाड़ को ऊपर उठा दिया गया है, और बिना पूर्व अनुमति या बैज के गेट से आगे निकलने की कोशिश भी नहीं की जानी चाहिए।
अंगरक्षक के रूप में तैनात लोगों की संख्या भी बढ़ गई है। उपराष्ट्रपति, पूर्व राष्ट्रपतियों, चुनाव के उम्मीदवारों, परिवार के सदस्यों और अन्य कई को सुरक्षा प्रदान की जाती है।
गृह युद्ध के दौरान, लिंकन व्हाइट हाउस को सशस्त्र शिविर जैसा दिखाने में झिझक रहे थे, लेकिन 1864 के अंत में उनकी सुरक्षा के लिए कई पुलिस अधिकारियों को नियुक्त किया गया। यह जानकारी व्हाइट हाउस हिस्टोरिकल एसोसिएशन ने दी। राष्ट्रपति फ्रैंकलिन पियर्स 1853 में पूर्णकालिक अंगरक्षक रखने वाले पहले व्यक्ति थे।
वर्ष 1901 में राष्ट्रपति विलियम मैककिनले की हत्या के बाद ही कांग्रेस ने ‘सीक्रेट सर्विस’ को ‘कमांडर-इन-चीफ’ की सुरक्षा का दायित्व संभालने के लिए कहा। ‘सीक्रेट सर्विस’ मूलतः वित्त विभाग का एक प्रभाग था और जालसाजों के पीछे लगा रहता था।
साल 1981 में तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन की हत्या के प्रयास को भी अकसर ‘सीक्रेट सर्विस’ के परिचालन में प्रमुख मोड़ माना जाता है।
एपी वैभव नेत्रपाल
नेत्रपाल
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