Bangladesh Violence: नई दिल्ली। बांग्लादेश में आरक्षण के विरोध में जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। बांग्लादेश मानो अब हुड़दंगियों के हवाले हो गया है। दरअसल, बांग्लादेश में बीते करीब एक महीने से आरक्षण के खिलाफ आंदोलन चल रहा था। इस आंदोलन के खिलाफ शेख हसीना सरकार ने सख्ती दिखाई तो यह उन्हें ही सत्ता से बटाने के आंदोलन में बदल गया। आखिर में हालात इतने बिगड़ गए कि बीते सोमवार यामि 4 अगस्त को शेख हसीना को पीएम पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। फिलहाल वह भारत में हैं और यहां से ब्रिटेन, फिनलैंड जैसे किसी देश में जाने की कोशिश में हैं। ऐसे में हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर इतना बड़ा आंदोलन अचानक कैसे खड़ा हो गया और इसके पीछे कौन था।
बता दें कि इस हिंसा के पीछे तीन छात्र- नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और अबू बकर मजूमदार हैं। इन तीनों ही छात्र नेताओं की उम्र 25 साल के आसपास है। तीनों ही छात्र ढाका यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं और आरक्षण के खिलाफ चलने वाले आंदोलन के अगुवा थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तीनों को 19 जुलाई को ही अगवा कर लिया गया था। इसके बाद उनसे कड़ी पूछताछ की गई और उत्पीड़न भी हुआ। फिर 26 जुलाई को छोड़ दिए गए। इसके बाद आंदोलन को इन लोगों ने फिर से आगे बढ़ाया और करीब 10 दिन के अंदर ही बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया। अब पूरी कमान सेना के हाथों में हैं। अंतरिम सरकार के गठन की प्रक्रिया तेज है, जिसमें इन तीनों छात्र नेताओं की भी अहम भूमिका है।
Bangladesh Violence: तीनों छात्रों ने आज एक वीडियो जारी कर ऐलान किया कि अंतरिम सरकार के मुखिया डॉ. युनूस होंगे, जो नोबेल विजेता अर्थशास्त्री हैं। वहीं, एक पोस्ट में उन्होंने कहा, “हमने जिस सरकार की सिफारिश की है, उसके अलावा कोई भी सरकार स्वीकार नहीं की जाएगी। हम अपने शहीदों का खून व्यर्थ नहीं जाने देंगे।”
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