वैश्विक भूख सूचकांक 2024 में 127 देशों में 105वें स्थान पर भारत |

वैश्विक भूख सूचकांक 2024 में 127 देशों में 105वें स्थान पर भारत

वैश्विक भूख सूचकांक 2024 में 127 देशों में 105वें स्थान पर भारत

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Modified Date: October 12, 2024 / 07:02 PM IST
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Published Date: October 12, 2024 7:02 pm IST

(अदिति खन्ना)

लंदन, 12 अक्टूबर (भाषा) वैश्विक भूख सूचकांक (जीएचआई) की 127 देशों की सूची में भारत को 105वें स्थान के साथ ‘गंभीर’ श्रेणी में रखा गया है।

अंतरराष्ट्रीय मानवीय एजेंसियां भूख के स्तर को मापने के लिए कुपोषण और बाल मृत्यु दर संकेतकों के आधार पर जीएचआई स्कोर प्रदान करती हैं, जिसके आधार पर यह सूची तैयार की जाती है।

साल 2024 की रिपोर्ट इस सप्ताह आयरलैंड के मानवीय संगठन ‘कंसर्न वर्ल्डवाइड’ और जर्मन सहायता एजेंसी ‘वेल्थहंगरहिल्फ’ ने प्रकाशित की है, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भूख के मुद्दे से निपटने के उपायों में अधिक प्रगति नहीं होने से दुनिया के कई सबसे गरीब देशों में भूख का स्तर कई दशकों तक उच्च बना रहेगा।

भारत उन 42 देशों में शामिल है जिन्हें पाकिस्तान और अफगानिस्तान के साथ ‘गंभीर’ श्रेणी में रखा गया है जबकि अन्य दक्षिण एशियाई पड़ोसी देश जैसे बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका बेहतर जीएचआई स्कोर के साथ ‘मध्यम’ श्रेणी में हैं।

सूचकांक प्रविष्टि में कहा गया है, ‘2024 के वैश्विक भूख सूचकांक में 27.3 के स्कोर के साथ भारत में भूख का स्तर गंभीर है।’

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का जीएचआई स्कोर चार घटक संकेतकों के मूल्यों पर आधारित है: 13.7 प्रतिशत जनसंख्या कुपोषित है, पांच वर्ष से कम आयु के 35.5 प्रतिशत बच्चे अविकसित हैं, जिनमें से 18.7 प्रतिशत दुर्बल हैं, तथा 2.9 प्रतिशत बच्चे पैदाइश के पांच साल के अंदर मर जाते हैं।

रिपोर्ट में विश्लेषण के आधार पर कहा गया है कि 2030 तक भूख मुक्त दुनिया बनाने के संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने की संभावना बहुत कम है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘पर्याप्त भोजन के अधिकार के महत्व पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बार-बार जोर देने के बावजूद, स्थापित मानकों और इस वास्तविकता के बीच एक चिंताजनक असमानता बनी हुई है। दुनिया के कई हिस्सों में भोजन के अधिकार की खुलेआम अवहेलना की जा रही है।’

विश्व स्तर पर, लगभग 73.3 करोड़ लोग प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में भोजन की उपलब्धता न होने के कारण भूख का सामना करते हैं, जबकि लगभग 2.8 अरब लोग स्वस्थ आहार का खर्च वहन नहीं कर पाते।

कुछ अफ्रीकी देश जीएचआई के अनुसार ‘खतरनाक’ श्रेणी के अंतिम छोर पर हैं। रिपोर्ट में गाजा और सूडान में युद्ध को असाधारण खाद्य संकट का कारण बताया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि युद्ध और नागरिकों के बीच संघर्ष अन्य स्थानों पर भी खाद्य संकट पैदा कर रहा है, जिनमें डॉमिनिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, हैती, माली और सीरिया शामिल हैं।

भाषा

जोहेब नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)