(एंड्रिया प्लेबानी, कैथोलिक यूनिवर्सिटी ऑफ सेक्रेड हार्ट, मिलान)
मिलान (इटली), 13 जनवरी (360इन्फो) पिछले कुछ साल में दाएश (इस्लामिक स्टेट का अरबी संक्षिप्त नाम) का असर और क्षमताएं भले ही काफी कम हुई हैं लेकिन इराक और सीरिया के संदर्भ में संगठन अब भी अपना अस्तित्व बनाए रखने में सक्षम है।
यह अलग बात है कि संगठन खास तौर पर 2014 और 2017 के बीच अपने चरम पर होने की तुलना में अब पुराने स्वरूप की छाया मात्र रह गया है।
दाएश के विरुद्ध वैश्विक गठबंधन के समन्वित प्रयासों तथा इराकी और सीरियाई लोगों के बलिदानों के बावजूद, इस्लामिक स्टेट (आईएस) नामक संगठन वैश्विक समुदाय के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
आईएस और इसके पूर्ववर्ती संगठन 20 से अधिक वर्षों में बार-बार नए स्वरूप में उठ खड़े हुए हैं जो ‘आतंक के इस नासूर’ के बार बार पनपते रहने, नए सिरे से, नयी ताकत के साथ उभरने की उसकी क्षमता का प्रदर्शन करते हैं।
सीरिया का गृहयुद्ध, इराक से अमेरिकी सेना की वापसी, अरब सुन्नी समुदायों का हाशिए पर जाना और इराक के तत्कालीन प्रधानमंत्री नूरी अल-मलिकी की नीतियां, 2011 और 2014 के बीच संगठन के फिर से मजबूती हासिल करने में सक्षम बनाने वाली ऐसी ही कुछ परिस्थितियां रही हैं।
आईएस का अस्तित्व अब भी बना हुआ है। आईएस के फिर से उभरने को सक्षम बनाने वाली जिन स्थितियों का उल्लेख पहले किया गया है, उनका अब तक समाधान नहीं हुआ है। इसके अलावा, संगठन का वैचारिक लचीलापन एक महत्वपूर्ण कारक है। अपने अपराधों के कारण बदनामी के बावजूद, दाएश की विचारधारा कायम है जो अपने उद्देश्यों के लिए स्थानीय लोगों के असंतोष का फायदा उठाता है।
वैश्विक अस्थिरता के आज के संदर्भ में सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद शासन के पतन ने देश के नाजुक संतुलन को और बिगाड़ दिया है। वर्तमान में अबु बकर अल-बगदादी के नेतृत्व में संगठन सीरिया और इराक के साथ तुर्की की सीमाओं के पास टिगरिस और यूफ्रेट्स में अपना अंतरराष्ट्रीय स्वरूप फिर से खड़ा कर रहा है।
वर्ष 2019 में बागौज की लड़ाई ने दाएश के क्षेत्रीय आधार को समाप्त कर दिया, फिर भी सीरिया में संगठन की मौजूदगी उल्लेखनीय रूप से बनी हुई है। आईएस का अब सीरिया के भूभाग के बड़े हिस्से पर नियंत्रण नहीं है, फिर भी उसे देश की अस्थिरता और सत्ता के प्रतिस्पर्धी केंद्रों के कारण लाभ मिल रहा है।
इराक की तरह संगठन ने भी कड़ी निगरानी वाले क्षेत्रों से परहेज किया है तथा इसके बजाय इसने उन क्षेत्रों में हमले पर ध्यान केंद्रित किया है जहां उसके विरोधियों की उपस्थिति सीमित है।
हमलों के अलावा, आईएस नियमित रूप से माफिया शैली की रणनीति अपनाता है, जिसमें निशाना बनाकर हत्याएं करना, डराने-धमकाने की नीति और कुछ समय के लिए सैन्य ठिकानों या क्षेत्रों पर कब्जा करना शामिल है। ये रणनीतियां जमीन पर इसकी मौजूदगी को मजबूत करती हैं और इसकी प्रासंगिकता बनाए रखती हैं।
कमजोर होने के बावजूद आईएस ने सीरिया में काफी प्रभाव बनाए रखा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सीरियाई लोगों का समर्थन करने के लिए निर्णायक रूप से कार्य करना चाहिए क्योंकि सीरियाई लोग अपने देश का पुनर्निर्माण कर रहे हैं और चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
यह न केवल अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की नैतिक जिम्मेदारी है बल्कि सीरिया को एक बार फिर आतंकवाद और अस्थिरता की सरजमीं बनने से रोकने के लिए भी जरूरी है।
(360इन्फो) सुरभि नरेश
नरेश
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