एक हजार और प्रजातियों के अस्तित्व पर मंडराया खतरा, संरक्षण से कुछ जानवरों के लिए जगी उम्मीद |

एक हजार और प्रजातियों के अस्तित्व पर मंडराया खतरा, संरक्षण से कुछ जानवरों के लिए जगी उम्मीद

एक हजार और प्रजातियों के अस्तित्व पर मंडराया खतरा, संरक्षण से कुछ जानवरों के लिए जगी उम्मीद

:   Modified Date:  June 27, 2024 / 04:31 PM IST, Published Date : June 27, 2024/4:31 pm IST

अबूजा(नाइजीरिया), 27 जून (एपी) अंतरराष्ट्रीय संरक्षण संगठन के मुताबिक करीब 45 हजार प्रजातियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है जो पिछले साल के मुकाबले एक हजार अधिक है।

संगठन ने इस स्थिति के लिए जलवायु परिवर्तन, आक्रामक प्रजातियों और मानव गतिविधियों जैसे अवैध व्यापार और बुनियादी ढांचा विस्तार को जिम्मेदार ठहराया है।

द इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्वरसेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) ने बृहस्पतिवार को लुप्त होने के खतरे का सामना कर रही प्रजातियों की नवीनतम सूची जारी की। संगठन ने अपने 60वें वर्ष में जारी इस सूची में विलुप्ति के खतरे का सामना कर रहे जानवरों और पौधों के बारे में चेतावनी दी है, लेकिन साथ ही इबेरियन लिंक्स (वनबिलाव)जैसी प्रजातियों के संरक्षण में मिली सफलता पर भी प्रकाश डाला है।

सूची में अब 1,63,040 प्रजातियों को शामिल किया गया है जो पिछले साल से लगभग 6,000 अधिक हैं। आईयूसीएन ने खुलासा किया कि चिली के अटाकामा तटीय रेगिस्तान में पाए जाने वाले कोपियापोआ कैक्टस, बोर्नियन हाथी और ग्रैन कैनरिया की विशालकाय छिपकली विलुप्ति के खतरे का सामना कर रही प्रजातियों में शामिल हैं।

कोपियापोआ कैक्टस के विलुप्ति के कारणों में सोशल मीडिया का चलन प्रमुख है। इसे लंबे समय से सजावटी पौधों के रूप में पसंद किया जाता रहा है, जिससे इसका अवैध व्यापार बढ़ रहा है और सोशल मीडिया के माध्यम से इसे बढ़ावा मिल रहा है। सोशल मीडिया पर उत्साही और व्यापारी कैक्टस का प्रदर्शन और बिक्री करते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अब 82 प्रतिशत प्रजातियां विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रही हैं जो 2013 के 55 प्रतिशत से बहुत अधिक है।

आईयूसीएन के विश्लेषण के मुताबिक 2024 में अद्यतन की गई सूची में बोर्नियो की एशियाई हाथी को एक लुप्तप्राय प्रजाति के रूप में अंकित किया गया है। अनुमान है कि जंगल में केवल लगभग 1,000 बोर्नियन हाथी बचे हैं। पिछले 75 वर्षों में इस प्रजाति के हाथियों की संख्या में कमी आई है।इसका मुख्य कारण बोर्नियो के जंगलों में बड़े पैमाने पर कटाई है।

इस निराशाजनक स्थिति में वनबिलाव के सरंक्षण के उत्साहजनक नतीजे उम्मीद जगाते हैं। विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी इस प्रजाति को बचाने में उल्लेखनीय सफलता मिली है। वयस्क वनबिलाव की संख्या 2001 में 62 रह गई थी जो 2022 में बढ़कर 648 हो गई है और वर्तमान में 2,000 से अधिक है।

कनाडा स्थित इंटरनेशनल सोसायटी फॉर एन्डेंजर्ड कैट्स के अनुसार, एक समय विश्व में सर्वाधिक संकटग्रस्त जंगली बिल्ली प्रजातियों में से एक मानी जाने वाली इस प्रजाति की संख्या में 1985 से 2001 के बीच 87 प्रतिशत की गिरावट आई थी, तथा प्रजनन करने वाली इस प्रजाति की मादा बिल्लियों की संख्या 90 प्रतिशत से अधिक तक घट गई थी।

एपी धीरज नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)