Supreme Court decided to end 30 percent reservation After protest by students

Student Protest for Reservation : इन लोगों को अब नहीं मिलेगा 30% आरक्षण, मेरिट के आधार पर होगी 93% पदों पर भर्ती, यहां के सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

इन लोगों को अब नहीं मिलेगा 30% आरक्षण, मेरिट के आधार पर होगी 93% पदों पर भर्ती, Supreme Court decided to end 30 percent reservation

Edited By :   Modified Date:  July 21, 2024 / 03:17 PM IST, Published Date : July 21, 2024/3:16 pm IST

ढाकाः Supreme Court end 30 percent reservation बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ हो रहे छात्रों के हिंसक आंदोलन के बीच वहां के सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सरकारी नौकरी के आवेदकों के लिए विवादास्पद कोटा प्रणाली में कटौती कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम बरकरार रखने के हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया। हालांकि, शीर्ष अदालत ने आरक्षण की इस व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 93 फीसद सरकारी नौकरियों को योग्यता आधारित प्रणाली के आधार पर आवंटित करने का आदेश दिया, जबकि शेष 7 फीसद नौकरियां 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले सेनानियों के रिश्तेदारों और अन्य श्रेणियों के लिए छोड़ी गईं। इससे पहले, इस प्रणाली ने युद्ध के दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए 30 फीसद ऐसी नौकरियों को आरक्षित किया था।

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ये था हंगामे का मुख्य कारण

Supreme Court end 30 percent reservation बांग्लादेश में प्रदर्शन और हिंसा की वजह सरकारी नौकरी में आरक्षण को लेकर थी। आजादी के बाद 1972 से स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को सरकारी नौकरी में 30 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाता है। एक गुट चाहता है कि यह आरक्षण जारी रहे। जबकि दूसरा धड़ा इसे खत्म करना चाहता है। शेख हसीना सरकार ने 2018 में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद इस आरक्षण व्यवस्था को खत्म कर दिया था। अब मामला सुप्रीम कोर्ट गया तो रविवार को वहां से भी इसे बदल दिया गया।

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देखते ही गोली मारने तक का आदेश

सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला कई हफ्तों के हिंसक प्रदर्शनों के बाद आया है। ज्यादातर प्रदर्शन छात्रों के नेतृत्व में हो रहे थे, जो मंगलवार को प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद घातक हो गए। पुलिस ने सड़कों और विश्वविद्यालय परिसरों में पत्थर फेंकने वाले प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाईं और धुएं के ग्रेनेड फेंके।

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