सुधा मूर्ति ने अपने दामाद ऋषि सुनक के ‘अच्छे भारतीय मूल्यों’ की प्रशंसा की |

सुधा मूर्ति ने अपने दामाद ऋषि सुनक के ‘अच्छे भारतीय मूल्यों’ की प्रशंसा की

सुधा मूर्ति ने अपने दामाद ऋषि सुनक के ‘अच्छे भारतीय मूल्यों’ की प्रशंसा की

:   Modified Date:  November 17, 2024 / 09:08 PM IST, Published Date : November 17, 2024/9:08 pm IST

(तस्वीर के साथ)

लंदन, 17 नवंबर (भाषा) विख्यात लेखिका और राज्यसभा सदस्य सुधा मूर्ति ने ब्रिटेन में अपने दामाद एवं पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की परवरिश में उनके माता-पिता द्वारा डाले गये ‘अच्छे भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों’ को लेकर उनपर (सुनक पर) गर्व जताया है।

सुधा मूर्ति शनिवार शाम यहां भारतीय विद्या भवन के वार्षिक दिवाली समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुईं, जहां ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति (सुधा मूर्ति की बेटी) भी मौजूद थीं।

भारतीय मूल के ऋषि सुनक की माता उषा सुनक और पिता यशवीर सुनक भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में विद्या भवन के ब्रिटिश विद्यार्थियों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य का मंचन किया।

सुधा मूर्ति ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘मैं हमेशा मानती हूं कि जब आप विदेश में हों, तब आपके माता-पिता को दो चीजें अवश्य करनी चाहिए: एक तो अच्छी शिक्षा है, जो आपको पंख देती है और आप कहीं भी जाकर बस सकते हैं। दूसरा महान संस्कृति, आपका मूल है जो भारतीय मूल या जड़ें हैं, वह आपको अपने माता-पिता के साथ भारतीय विद्या भवन में मिल सकती हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपनी संबंधी और अच्छी मित्र उषा जी को बधाई देना चाहती हूं, जिन्होंने अपने बेटे पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को भारतीय संस्कृति से जुड़ने का एक बेहतरीन रास्ता दिया, फलस्वरूप वह एक गौरवान्वित ब्रिटिश नागरिक बने और उनमें अच्छे भारतीय सांस्कृतिक मूल्य स्थापित हुए।’’

उन्होंने ब्रिटिश भारतीय समुदाय से भवन (ब्रिटेन) की सांस्कृतिक गतिविधियों में ‘मानसिक, शारीरिक और वित्तीय रूप से’ सहयोग करने की अपील की।

वर्षों से इस सांस्कृतिक केंद्र की कट्टर समर्थक रहीं सुधा मूर्ति ने कहा, ‘‘आपको अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति को समझने के लिए यहां भेजना चाहिए, क्योंकि जब आप बूढ़े हो जाते हैं तो आप अपनी जड़ों की ओर जाते हैं… तब भारतीय विद्या भवन उस फासले को दूर करता है, इसलिए आपको उन्हें बने रहने के लिए हर तरह से मदद करनी होगी।’’

इस मौके पर ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दुरैस्वामी ने मूर्ति की कृतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये पाठकों को स्वयं के प्रति सच्चे होने के लिए प्रेरित करती हैं, क्योंकि हमारी ‘मूल की कहानी मायने रखती है।’

भाषा

राजकुमार सुरेश

सुरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)