जिनेवा, 31 मार्च (एपी) चीन के सहयोगियों के साथ कोविड-19 वायरस के संभावित स्रोत संबंधी बहुप्रतीक्षित अध्ययन करने वाली अंतरराष्ट्रीय टीम ने मंगलवार को शुरुआती रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि ‘यह पहली शुरुआत’ है। वहीं अमेरिका और एवं उसके सहयोगियों ने अध्ययन के नतीजों को लेकर चिंता व्यक्त की जबकि चीन ने सहयोग करने की बात की।
टीम का नेतृत्व कर रहे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के पीटर बेन एम्ब्रेक ने महामारी के लिए जिम्मेदार वायरस के संभावित स्रोत को लेकर पहले चरण की अध्ययन रिपोर्ट पेश की। इस महामारी की शुरुआत पिछले साल चीन में हुई थी, इससे अब तक करीब 28 लाख लोगों की मौत हो चुकी है और अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है।
एसोसिएटेड प्रेस को सोमवार को मिली रिपोर्ट और मंगलवार को औपचारिक रूप से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि चमगादड़ से वायरस का प्रसार अन्य जानवरों के माध्यम से मानव में होने की संभावना अधिक है जबकि प्रयोगशाला से वायरस के लीक होने की आशंका ‘बेहद ही कम’’ है। वहीं डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि अब तक परिकल्पनाओं पर विराम नहीं लगा है।
रिपोर्ट जारी होने के बाद अमेरिका और करीब एक दर्जन देशों ने अध्ययन को लेकर चिंता जताई। उन्होंने चीन की ओर सीधे इशारा करने के बजाय रिपोर्ट आने में देरी और नमूनों एवं आंकड़ों तक पहुंच नहीं होने की ओर ध्यान आकर्षित कराया। इन आलोचनाओं का जवाब देते हुए चीन ने कहा कि यह मुद्दे का ‘राजनीतिकरण’ करने की कोशिश है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि बाइडन प्रशासन डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट की समीक्षा कर रहा है। साथ ही उन्होंने कहा , ‘‘ इसमें अहम आंकड़ों, सूचना की कमी है …उन तक पहुंच नहीं है, पारदर्शिता की कमी है।’’
साकी ने कहा कि अध्ययन उतना असर पैदा नहीं कर सका जितना असर महामारी का दुनिया पर रहा।
अलग से 14 देशों के संयुक्त बयान में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने विशेषज्ञें के दूसरे चरण के अध्ययन को ‘गति’ देने का आह्वान किया और मानव में वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए जानवरों पर अधिक अध्ययन करने पर जोर दिया।
यूरोपीय संघ ने अलग बयान जारी कर देरी से शुरू हुए अध्ययन और विशेषज्ञों की तैनाती, सीमित नमूनों एवं और आंकड़ों की उपलब्धता को लेकर चिंता जताई लेकिन कहा कि यह रिपोर्ट पहला मददगार कदम है।
वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर जारी बयान में रेखांकित किया कि चीन ने डब्ल्यूएचओ को पूरा सहयोग दिया।
बेन एम्ब्रेक ने कहा कि टीम के सदस्यों ने ‘‘हर ओर से’’ राजनीतिक दबाव महसूस किया।
उन्होंने साथ ही कहा, ‘‘हम पर कभी भी अहम तत्वों को अपनी रिपोर्ट से हटाने का दबाव नहीं बनाया गया।’’
एम्ब्रेक ने चीन में ‘निजता’ के मुद्दे को भी रेखांकित किया जिसकी वजह से कुछ आंकड़ों को साझा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि इसी तरह की पाबंदी कई अन्य देशों में भी है।
टीम के कई सदस्यों के साथ संवाददाता सम्मेलन में शामिल एम्ब्रेक ने कहा, ‘‘ टीम की प्राथमिक आंकड़ों तक पूरी तरह से पहुंच नहीं थी और उसपर भविष्य में अध्ययन करने की अनुशंसा की गई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह केवल पहली शुरुआत है, हमने इस जटिल अध्ययन की सतह को महज खुरचा है, और अध्ययन करने की जरूरत है।’’
वहीं जापान ने भी कोविड-19 के स्रोत का पता लगाने के लिए और अध्ययन करने की मांग की है।
जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव कत्सुनोबु कातो ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ भविष्य में महामारी को रोकने के लिए यह जरूरी है कि विशेषज्ञों के नेतृत्व में स्वतंत्र जांच हो जो निगरानी से मुक्त हो। ’’
एपी धीरज मनीषा
मनीषा
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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