छात्रों का सहपाठियों से दुर्व्यवहार: अभिभावक बच्चों को सुरक्षित रखने में किस प्रकार मदद कर सकते हैं? |

छात्रों का सहपाठियों से दुर्व्यवहार: अभिभावक बच्चों को सुरक्षित रखने में किस प्रकार मदद कर सकते हैं?

छात्रों का सहपाठियों से दुर्व्यवहार: अभिभावक बच्चों को सुरक्षित रखने में किस प्रकार मदद कर सकते हैं?

:   Modified Date:  October 22, 2024 / 03:58 PM IST, Published Date : October 22, 2024/3:58 pm IST

(डेरिल हिगिंस और गैबरियल हंट, ऑस्ट्रेलियाई कैथोलिक विश्वविद्यालय)

सिडनी, 22 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) ऑस्ट्रेलिया के प्राथमिक विद्यालयों में सहपाठियों द्वारा यौन दुर्व्यवहार में चिंताजनक वृद्धि का खुलासा किया गया है। एबीसी की सोमवार को सामने आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

स्कूलों के आंकड़ों से पता चलता है कि 2022 और 2023 में ऐसी सैकड़ों घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से कई में 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे शामिल थे।

ऑस्ट्रेलिया में बाल दुर्व्यवहार अध्ययन से पता चला है कि स्कूलों में सहपाठियों द्वारा यौन शोषण की दर में वृद्धि हो रही है।

अध्ययन में शामिल 16 से 24 वर्ष की आयु के 18.2 प्रतिशत प्रतिभागियों ने बताया कि उनके बचपन में किसी सहपाठी द्वारा उनका यौन शोषण किया गया था, जबकि 45 वर्ष या उससे अधिक आयु के 12.1 प्रतिशत प्रतिभागियों ने भी ऐसी ही बात बताई।

माता-पिता सोच रहे होंगे कि वे अपने बच्चों को स्कूल में कैसे सुरक्षित रख सकते हैं?

माता-पिता के पास सबसे प्रभावी साधनों में से एक है कि वे अपने बच्चों के साथ नियमित और खुले दिमाग से बातचीत करें।

आपको किस बारे में बात करनी चाहिए?

माता-पिता के लिए यह बहुत जरूरी है कि वे अपने बच्चों से कम उम्र से ही ‘‘सीमाओं और सहमति’’ के बारे में बात करें। छोटे बच्चों के लिए, उन्हें यह सिखाना आसान हो सकता है कि उनका शरीर उनका है और किसी और को बिना अनुमति के उन्हें छूने का अधिकार नहीं है। गले लगाने से पहले अनुमति लेना एक अच्छी आदत है और जब बच्चे ‘‘नहीं’’ कहते हैं तो उनका सम्मान करना एक अच्छी शुरुआत है।

सहमति के विषय पर चर्चा करते समय, यह समझाना महत्वपूर्ण है कि सहमति का अर्थ केवल ‘‘नहीं’’ कहना नहीं है, बल्कि दूसरों की सीमाओं को पहचानना और उनका सम्मान करना भी है।

सहपाठियों के साथ बेहतर रिश्ते और भरोसेमंद वयस्क, बच्चे के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बच्चों को उन वयस्कों की पहचान करने में मदद की जानी चाहिए, जिन पर वे भरोसा कर सकते हैं, अगर उन्हें किसी चीज के बारे में बात करने की जरूरत महसूस हो।

सहपाठियों के दबाव और गोपनीयता के मुद्दे से निपटना

बच्चों पर सहपाठियों का दबाव हो सकता है या उन्हें कुछ व्यवहार को गोपनीय रखने के लिए कहा जा सकता है। माता-पिता के लिए यह जरूरी है कि वे इस बात पर जोर दें कि चाहे कोई भी उन्हें कोई बात छिपाने के लिए कहे, उन्हें हमेशा किसी भरोसेमंद वयस्क के साथ अपनी चिंताएं या ऐसी चीजें साझा करनी चाहिए जिनके बारे में वे अनिश्चित हैं।

माता-पिता अवश्य यह संदेश दे सकते हैं कि अगर कोई उन्हें किसी भी बात को नहीं बताने के लिए कहता है, तो यह एक ‘‘खतरे का संकेत’’ है।

ऑनलाइन सुरक्षा पर चर्चा

अध्ययन से पता चलता है कि ऑनलाइन अश्लील सामग्री जैसी हानिकारक चीजों के संपर्क में आना हमउम्र के बीच अनुचित यौन व्यवहार का एक महत्वपूर्ण कारक है।

अपने बच्चे के इंटरनेट उपयोग के बारे में जागरूक होना और उन्हें ऑनलाइन खुद को सुरक्षित रखने के तरीके के बारे में शिक्षित करना महत्वपूर्ण है।

(द कन्वरसेशन) शफीक नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)