इन छुट्टियों में तनाव में कर सकते हैं अधिक खानपान, यहां दिए जा रहे हैं कुछ सुझाव |

इन छुट्टियों में तनाव में कर सकते हैं अधिक खानपान, यहां दिए जा रहे हैं कुछ सुझाव

इन छुट्टियों में तनाव में कर सकते हैं अधिक खानपान, यहां दिए जा रहे हैं कुछ सुझाव

Edited By :  
Modified Date: December 23, 2024 / 02:19 PM IST
,
Published Date: December 23, 2024 2:19 pm IST

(समन खलेसी, शेरलोट गुप्ता और तालिथा बेस्टा, सी क्यू यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया)

रॉकहैम्पटन (ऑस्ट्रेलिया), 23 दिसंबर (द कन्वरसेशन) छुट्टियों का मौसम खुशी, जश्न और स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेने का समय हो सकता है। हालांकि, कई लोगों के लिए यह एक भावनात्मक और तनावपूर्ण अवधि भी हो सकती है।

यह तनाव हमारी खाने की आदतों में सामने आ सकता है, जिसके कारण इसे भावनात्मक या तनावपूर्ण खानपान कहा जा सकता है।

कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें हम तनावग्रस्त होने पर अधिक खाते हैं, और ये हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, हमारे खाने के विकल्प हमारे तनाव के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं और हमें बुरा महसूस करा सकते हैं। यहां बताया गया है कि ऐसा कैसे होता है।

तनावग्रस्त होने पर हम अधिक क्यों खाते हैं?

मानवीय तनाव प्रतिक्रिया शरीर और मस्तिष्क में एक जटिल नेटवर्क है। हमारा तंत्रिका तंत्र हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए शारीरिक और मनोवैज्ञानिक घटनाओं पर प्रतिक्रिया देता है। हमारी यह तनाव संबंधी प्रतिक्रिया हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है जो सूक्ष्म हो सकती है।

तनाव प्रतिक्रिया हार्मोन कोर्टिसोल और इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाती है और मांग को पूरा करने के लिए ग्लूकोज (रक्त शर्करा) एवं मस्तिष्कीय रसायन छोड़े जाते हैं। जब हम तनाव का अनुभव करते हैं तो खाना हमारी ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक सामान्य व्यवहार है।

लेकिन कभी-कभी विभिन्न प्रकार के तनाव के जवाब में भोजन के साथ हमारा रिश्ता तनावपूर्ण हो जाता है। हम ज्यादा खाने को शर्म या अपराधबोध से जोड़ सकते हैं। और चिंता या असुरक्षा का मतलब यह हो सकता है कि कुछ लोग तनावपूर्ण समय में कम खाते हैं।

समय के साथ, लोग खाने को नकारात्मक भावनाओं से जोड़ना शुरू कर सकते हैं – जैसे कि गुस्सा, उदासी, डर या चिंता। इस तरह का जुड़ाव भावनात्मक खानपान का एक व्यवहार चक्र बना सकता है। भावनात्मक रूप से खाने वाले लोगों में भोजन देखकर या उसकी गंध से मस्तिष्क में बदली हुई प्रतिक्रिया जन्म ले सकती है।

तनाव में खाने से शरीर को क्या नुकसान हो सकता है।

तनावपूर्ण समय में भोजन में अत्यधिक खाना, हर समय कुछ खाते रहना, देर रात खाना, जल्दी खाना या पेट भरने की भावना से परे खाना शामिल हो सकता है। इसमें ऐसे खाद्य पदार्थों को खाने की लालसा या खाना भी शामिल हो सकता है जिन्हें हम आमतौर पर नहीं खाते हैं।

उदाहरण के लिए, तनावग्रस्त लोग अक्सर अत्यंत प्रसंस्कृत (अल्ट्रा-प्रोसेस्ड) खाद्य पदार्थों की ओर आकर्षित होते हैं। जबकि इन खाद्य पदार्थों को खाने का यह मतलब निकालना जरूरी नहीं कि तनाव की स्थिति है। लेकिन इन्हें खाने से हमारे मस्तिष्क में एक प्रणाली सक्रिय हो सकती है जिससे तनाव कम हो सकता है और एक पैटर्न बन सकता है।

छुट्टियों के दौरान तनावपूर्ण स्थिति में खाने जैसी अल्पकालिक स्थितियों में एसिड बनने और खराब नींद जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं और शराब पीने के साथ ये और बढ़ जाते हैं।

लंबे समय तक तनाव में खाने से वजन बढ़ सकता है और मोटापा हो सकता है, जिससे कैंसर, हृदय रोग और मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है।

तनाव की स्थिति में खाने से उस समय तनाव कम करने में मदद मिल सकती है, लेकिन लंबे समय तक तनाव में खाने से अवसादग्रस्त होने के लक्षणों में वृद्धि हो सकती है एवं खराब मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण नजर आ सकते हैं।

हम जो खाते हैं, उससे हम कम या ज्यादा तनावग्रस्त हो सकते हैं। हम जो खाद्य पदार्थ चुनते हैं, वे हमारे तनाव के स्तर को भी प्रभावित कर सकते हैं।

रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और चीनी (जैसे मीठे पेय, मिठाई, केक और अधिकांश चॉकलेट) से भरपूर आहार रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकते हैं और फिर उसे गिरा सकते हैं।

अस्वास्थ्यकर संतृप्त (सेचुरेटिड) और ट्रांस फैट (वसा) (प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, पशु वसा और व्यावसायिक रूप से तले हुए खाद्य पदार्थ) से भरपूर आहार सूजन जैसी नकारात्मक प्रतिक्रियाओं को बढ़ा सकते हैं।

इस बीच, कुछ खाद्य पदार्थ मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर के संतुलन को बेहतर बना सकते हैं जो तनाव और मूड को नियंत्रित करते हैं।

मछली और अलसी में पाए जाने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड से इन्फ्लेमेशन को कम करने और मस्तिष्क के स्वास्थ्य में मदद मिलती है। पत्तेदार सब्जियों और मेवों में पाया जाने वाला मैग्नीशियम, कोर्टिसोल के स्तर और शरीर की तनाव प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने में मदद करता है।

साबुत अनाज, मेवे, बीज, बीन्स और पशु उत्पादों (ज्यादातर B12) में पाया जाने वाला विटामिन बी, स्वस्थ तंत्रिका तंत्र और ऊर्जा चयापचय को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे मिजाज और संज्ञानात्मक प्रदर्शन में सुधार होता है। छुट्टियों में खानपान के 5 सुझाव:

त्यौहारों के मौसम में भोजन एक बड़ा कारक होता है, और स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेना मौज-मस्ती का हिस्सा हो सकता है। तनाव की स्थिति में अधिक खाने से बचते हुए त्योहारी खाद्य पदार्थों का आनंद लेने के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:

1. धीरे-धीरे खाएं: अपने खाने की गति के बारे में सावधान रहें। धीरे-धीरे खाएं, भोजन को अच्छी तरह चबाएं और प्रत्येक निवाले के बाद अपने बर्तन नीचे रख दें

2. घड़ी देखें: भले ही आप सामान्य से ज्यादा खाना खा रहे हों, खाने के अंतराल की अवधि समान बने रहने से भोजन के प्रति आपके शरीर की प्रतिक्रिया को नियंत्रित रखने में मदद मिल सकती है। अगर आप आमतौर पर आठ घंटे का अंतराल (आपके पहले भोजन और दिन के आखिरी भोजन के बीच का समय) तय करते हैं, तो इस पर टिके रहें, भले ही आप ज्यादा खा रहे हों।

3. अन्य स्वास्थ्य व्यवहार जारी रखें: भले ही हम त्योहारों के मौसम में ज्यादा खाना या अलग-अलग तरह का खाना खा रहे हों, लेकिन कोशिश करें कि नींद और व्यायाम जैसे अन्य स्वस्थ व्यवहार जारी रखें।

4. शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें:

आप खूब सारा तरल पदार्थ पिएं, खास तौर पर पानी। इससे हमारे शरीर को काम करने में मदद मिलती है और भूख की भावना से भी राहत मिलती है। जब हमारे दिमाग को यह संदेश मिलता है कि पेट में कुछ गया है (जो हम पीते हैं) तो इससे भूख की भावना में अस्थायी कमी आ सकती है।

5. प्रतिबंध न लगाएं: अगर हम बहुत ज्यादा खाते हैं, तो पहले या बाद के कुछ दिनों में खाने को सीमित करना अच्छा लग सकता है। लेकिन खानपान को बहुत ज्यादा सीमित करना कभी भी अच्छा विचार नहीं है। इससे ज्यादा खाने की आदत पड़ सकती है और तनाव बढ़ सकता है।

छुट्टियों के तनाव के प्रबंधन के लिए तीन और सुझाव:

1. अपनी सोच बदलें: त्योहारों के समय होने वाले तनाव को फिर से परिभाषित करने का प्रयास करें। इन्हें खराब मानने के बजाय आपके लक्ष्यों की पूर्ति के लिए ऊर्जा देने वाला मानें।

2. खुद के प्रति और दूसरों के लिए सहानुभूति रखें: दूसरों के लिए सहानुभूति रखें और खुद से एक दोस्त की तरह बात करें। इससे हमारा मस्तिष्क प्रेरित हो सकता है और हमारा हालचाल सही हो सकता है।

3. कुछ मजेदार करें: खुद को कलाकारी, अन्य गतिविधियों और यहां तक कि प्राणायाम जैसे मजेदार कामों में व्यस्त रखें।

(द कन्वरसेशन) वैभव नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Flowers