पाकिस्तान में जब तक जनता के भरोसे वाली सरकार नहीं बन जाती, स्थिरता संभव नहीं: खान |

पाकिस्तान में जब तक जनता के भरोसे वाली सरकार नहीं बन जाती, स्थिरता संभव नहीं: खान

पाकिस्तान में जब तक जनता के भरोसे वाली सरकार नहीं बन जाती, स्थिरता संभव नहीं: खान

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Modified Date: March 13, 2025 / 05:23 PM IST
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Published Date: March 13, 2025 5:23 pm IST

(एम जुल्करनैन)

लाहौर, 13 मार्च (भाषा) पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि जब तक बलूचिस्तान समेत पूरे देश में जनता के भरोसे वाली सरकार नहीं बन जाती, तब तक स्थिरता का माहौल संभव नहीं होगा।

जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री खान ने कहा, ‘‘सैन्य अभियानों से कभी भी समस्याओं का समाधान नहीं होता। यहां तक ​​कि बड़े युद्धों का समाधान भी वार्ता और शांति एवं स्थिरता के प्रयासों के माध्यम से ही किया गया है।’’

उन्होंने बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा प्रांतों की स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की।

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में विद्रोहियों ने एक ट्रेन पर कब्जा करके बंधक बनाए गए 21 यात्रियों और अर्धसैनिक बलों के चार जवानों की हत्या कर दी।

पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ ने बताया कि सुरक्षा बलों ने घटनास्थल पर मौजूद सभी 33 विद्रोहियों को मार गिराया।

खान ने बुधवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि पाकिस्तान की विदेश नीति को उसके आंतरिक मामलों की तरह ही सबसे खराब तरीके से संभाला जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के साथ हमारी सीमा बहुत लंबी है और उनके साथ मामलों को बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए। जब ​​तक पड़ोसी देशों के साथ हमारी विदेश नीति स्वतंत्र और संप्रभु नहीं होगी, तब तक देश में शांति की उम्मीद नहीं की जा सकती।’’

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के संस्थापक खान (72) ने कहा कि आतंकवाद ने एक बार फिर देश में जड़ें जमा ली हैं।

खान ने कहा कि खुफिया एजेंसियों की प्राथमिक भूमिका सीमाओं की सुरक्षा और आतंकवाद का मुकाबला करना है।

उन्होंने पूछा, ‘‘यदि वे राजनीति करने में व्यस्त रहेंगे और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को खत्म करने की कोशिश करेंगे तो सीमाओं की सुरक्षा कौन करेगा?’ उन्होंने पाकिस्तान में खराब शासन की आलोचना की।

उन्होंने जेल में अपनी खराब स्थिति के बारे में भी बात की।

खान ने कहा, ‘‘अडियाला जेल रावलपिंडी वर्तमान में कानून से ऊपर चल रही है। अदालत के आदेशों के बावजूद, मुझे पिछले दो सप्ताह से अपने बच्चों से बात करने की अनुमति नहीं दी गई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले चार महीनों में मुझे उनसे केवल चार बार बात करने की अनुमति दी गई। यहां तक ​​कि मेरी किताबें भी मुझे नहीं दी जा रही हैं। यह सब बुनियादी मानवाधिकारों, कानूनी मानदंडों और जेल नियमावली का गंभीर उल्लंघन है।’’

भाषा

देवेंद्र पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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