कोलंबो, 26 दिसंबर (भाषा) श्रीलंका में भीषण तबाही मचाने वाली सुनामी के 20 साल पूरे होने पर बृहस्पतिवार को दो मिनट का मौन रखा गया। इस सुनामी में द्वीपीय देश के 30,000 से अधिक लोग मारे गए थे।
श्रीलंका 26 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
मुख्य स्मृति समारोह दक्षिणी प्रांत कोलंबो से लगभग 90 किलोमीटर दूर पेरालिये में आयोजित किया गया, जहां सुनामी के कारण हुई दुनिया की सबसे भीषण रेल त्रासदी में 3,000 से अधिक लोग मारे गए थे।
यह सुनामी 9.1 तीव्रता के भूकंप से आयी थी और इसे सबसे पहले द्वीप के पूर्वी तट पर महसूस किया गया। इसके बाद यह दक्षिण की ओर बढ़ी और इससे बड़े पैमाने पर तबाही हुई।
कोलंबो से दक्षिणी शहर मटारा जा रही ट्रेन 26 दिसंबर, 2004 को सुबह 9:25 बजे सुनामी की तेज लहरों की चपेट में आ गई और कुछ ही समय में ट्रेन और उसकी पटरियां क्षतिग्रस्त हो गईं और उसमें सवार सभी लोग मारे गए।
स्थानीय बौद्ध मंदिर के प्रमुख और अब पीड़ितों की याद में बनाए गए स्मारक के रखरखाव के लिए बोर्ड के प्रभारी परालिये विमाला ने कहा, ‘यह दुनिया की सबसे बड़ी रेल दुर्घटना थी, जिसमें 3,000 से अधिक लोग मारे गए।’
रेवरेंड विमला ने कहा कि गांव के 3,000 से अधिक सुनामी पीड़ितों को स्मारक के दोनों ओर स्थित तीन सामूहिक कब्रों में दफनाया गया था।
बृहस्पतिवार सुबह 9.25 बजे ट्रेन उसी जगह पर रुकी जहां 20 साल पहले सुनामी की लहरें आई थीं। कुछ पीड़ितों के रिश्तेदार पास के स्मारक पर श्रद्धांजलि देने के लिए फूल लेकर जाते देखे गए।
इस त्रासदी में अपने ससुर और छह साल की भतीजी को खोने वाली तुशांति जयानी ने कहा, ‘मैं इसके बारे में बात नहीं करना चाहती, 20 साल बाद भी यह बहुत दुखद है।’
भाषा
शुभम नरेश
नरेश
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