वियनतियान (लाओस), नौ अक्टूबर (एपी) दक्षिण-पूर्व एशियाई नेता बुधवार को लाओस की राजधानी में वार्षिक क्षेत्रीय मंच के लिए एकत्र हुए, जिसमें म्यांमा में लंबे समय से चल रहे गृह युद्ध और दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय तनाव से निपटने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
यह दो प्रमुख चुनौतियां हैं, जो लंबे समय से इस समूह की विश्वसनीयता की परीक्षा ले रही हैं।
दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) शिखर सम्मेलन के बाद चीन, अमेरिका और रूस सहित वैश्विक शक्तियों के साथ बैठकें भी होंगी, जो इस क्षेत्र में प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
वियनतियान में जब यह बैठक हो रही हैं तो इस बात की भी संभावना है कि बातचीत में पश्चिम एशिया में बढ़ती हिंसा का मुद्दा भी शामिल हो। हालांकि दक्षिण-पूर्व एशिया को केवल अप्रत्यक्ष प्रभाव का सामना करना पड़ा है।
ऐतिहासिक रूप से आसियान का प्रभाव इसके अपने सदस्यों के बीच भी सीमित ही रहा है, लेकिन यह अक्सर क्षेत्र के साथ जुड़ने की इच्छुक महाशक्तियों के बीच संवाद के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता रहा है।
आसियान के 10 सदस्य देश – इंडोनेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, म्यांमा, कंबोडिया, ब्रुनेई और लाओस – क्षेत्र के अन्य स्थानों के अपने संवाद साझेदारों जापान, दक्षिण कोरिया, भारत और ऑस्ट्रेलिया आदि के साथ अर्थव्यवस्था से लेकर जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा जैसे विषयों पर बातचीत करेंगे।
लाओस के प्रधानमंत्री सोनेक्सय सिफानडोन ने अपने उद्घाटन भाषण में शिखर सम्मेलन में थाईलैंड और सिंगापुर के नए नेताओं का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि समूह के सबसे गरीब देशों में से एक लाओस का लक्ष्य अपनी अध्यक्षता में भू-राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों का प्रबंधन करने के लिए सदस्यों को एक साथ काम करने में मदद करना है।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन इन बैठकों में राष्ट्रपति जो बाइडन की तरफ से शामिल होंगे, जबकि चीन का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री ली क्विंग करेंगे।
एशिया के लिए शीर्ष अमेरिकी राजनयिक डैन क्रिटेनब्रिंक ने कहा कि अमेरिका-चीन के बिगड़ते संबंध, विशेष रूप से विवादित दक्षिण चीन सागर में बीजिंग की बढ़ती आक्रामकता, ब्लिंकन के लिए एक प्रमुख एजेंडा होगा। उन्होंने यह नहीं बताया कि ब्लिंकन लाओस में चीनी अधिकारियों के साथ अलग से बैठक करने की योजना बना रहे हैं या नहीं।
आसियान के सदस्य वियतनाम, फिलीपीन, मलेशिया और ब्रुनेई के साथ-साथ ताइवान के भी चीन के साथ परस्पर विरोधी दावे हैं। चीन लगभग सम्पूर्ण दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है तथा उसे लागू करने के प्रयासों में वह लगातार आक्रामक होता जा रहा है।
एपी प्रशांत मनीषा
मनीषा
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