fire death toll rises to 76: जोहानिसबर्ग, एक सितंबर (एपी) दक्षिण अफ्रीका के सबसे बड़े शहर जोहानिसबर्ग में आग का शिकार बनी बहुमंजिला इमारत वाले घटनास्थल पर अपने कार्य को अंजाम देकर आपात सेवा के कर्मचारी शुक्रवार को रवाना हो गए। वहीं इस हादसे में मृतकों की संख्या बढ़कर 76 हो गई है।
अब इस हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के शवों की शिनाख्त बड़ी चुनौती है। दर्जनों जले हुए शवों और शरीर के कुछ हिस्सों को जोहानिसबर्ग शहर के कई मुर्दाघरों में ले जाया गया है जहां पैथोलॉजिस्ट उनकी शिनाख्त में जुटे हैं।
जोहानिसबर्ग के मध्य में स्थित इस बहुमंजिला इमारत में बृहस्पतिवार को आग लगी थी और इस हादसे में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 76 हो गई है।
स्वास्थ्य मंत्री जो फाहला ने संवाददाताओं को बताया कि देर रात अस्पताल में दो और लोगों की मौत हो गई, जिसके बाद इस हादसे में मृतकों की संख्या बढ़कर 76 हो गई। प्राधिकारियों ने बताया कि मृतकों में कम से कम 12 बच्चे हैं।
जोहानिसबर्ग आपात सेवा के प्रवक्ता नाना राडेबे ने कहा कि आपात सेवा के कर्मचारियों ने इमारत की सभी पांच मंजिलों की तीन बार तलाशी ली और माना जा रहा है कि सभी शवों और शवों के हिस्सों को मौके से हटा दिया गया है।
राडेबे ने कहा कि इमारत (जो अब एक जली हुई इमारत है) को पुलिस और फॉरेंसिक जांचकर्ताओं को सौंप दिया गया है जो जांच करेंगे।
गौतेंग प्रांत के स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता मोटालाताले मोदिबा ने कहा कि 62 शव इतनी बुरी तरह जल गए थे कि उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया था।
गौतेंग की फॉरेंसिक पैथोलॉजी सर्विसेज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) थेम्बालेथु मपहलाजा ने गुरुवार शाम एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इमारत के अवशेषों में कई अज्ञात मानव अंग पाए गए हैं और जांचकर्ताओं को यह स्थापित करने की जरूरत है कि क्या वे पहले से गिने गये पीड़ितों के अवशेष हैं या अन्य शवों के हिस्सा हैं।
शहर के अधिकारियों ने कहा कि आग से मरे ज्यादातर लोगों को विदेशी नागरिक माना जा रहा है जो दक्षिण अफ्रीका में संभवत: अवैध रूप से रह रहे थे। उन्होंने कहा कि इसके कारण उनकी पहचान करना और मुश्किल हो गया है।
इमारत के निवासियों के हवाले से स्थानीय मीडिया खबरों में कहा गया है कि मृतकों में से कम से कम 20 लोग दक्षिणी अफ्रीकी देश मलावी से थे।
आग ने इमारत को तबाह कर दिया। जोहानिसबर्ग की इस इमारत को अधिकारियों ने खाली छोड़ा हुआ था और इसे गरीब और बेसहारा लोगों ने अपना बसेरा बनाया हुआ था।
जोहानिसबर्ग के महापौर काबेलो ग्वामांडा ने कहा कि माना जाता है कि यह इमारत लगभग 200 परिवारों का घर था। इस तरह की अवधारणा जोहानिसबर्ग में आम है और इस तरह की इमारतों को ‘हाईजैक’ इमारत कहा जाता है।
मृतकों में कम से कम 12 बच्चे थे और 50 से अधिक लोग घायल हुए हैं जिनमें से पांच की हालत गंभीर है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने बृहस्पतिवार को घटना स्थल का दौरा किया था। रामफोसा ने कहा कि यह त्रासदी आंशिक रूप से ‘आपराधिक तत्वों’ के कारण हुई, जिन्होंने इमारत पर कब्जा कर लिया था और बेघर, गरीब लोगों (जिनमें से कुछ दक्षिण अफ्रीकी थे तो कुछ प्रवासी विदेशी नागरिक) को रहने की जगह किराए पर दे रहे थे।
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