(एम जुल्करनैन)
लाहौर, 15 नवंबर (भाषा) पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की वरिष्ठ मंत्री मरियम औरंगजेब ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने धुंध को ‘‘स्वास्थ्य संकट’’ घोषित कर दिया है क्योंकि पिछले माह लाखों लोगों के सांस लेने में तकलीफ और श्वसन संबंधी अन्य समस्याओं से पीड़ित होने के मामले सामने आए।
उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि लगभग 13.0 करोड़ आबादी वाले प्रांत में पिछले कुछ हफ्तों से छाए धुंध से निपटने के लिए लाहौर और मुल्तान जिलों में ‘‘स्वास्थ्य आपातकाल’’ घोषित कर दिया गया है।
प्रांतीय स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, पिछले महीने अस्पतालों में अस्थमा, छाती में संक्रमण, आंखों के संक्रमण और हृदय संबंधी समस्याओं के अलावा सांस से जुड़ी बीमारी के लगभग 20 लाख मामले सामने आए हैं।
जहरीले प्रदूषकों के कारण धुंध ने पंजाब के कई शहरों को अपनी आगोश में ले लिया है। इसके कारण सबसे ज्यादा लाहौर और मुल्तान प्रभावित हैं।
वायु प्रदूषण का नया रिकॉर्ड बनाते हुए मुल्तान में दो बार वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 2,000 को पार कर चुका है।
औरंगजेब ने कहा कि अस्पताल के आंकड़ों से धुंध के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों की पूरी तस्वीर स्पष्ट नहीं होती है क्योंकि इसमें केवल वही मामले शामिल हैं जो कि दर्ज किए गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘सांस की समस्याओं से पीड़ित कई लोग चिकित्सकों की सलाह लेने के लिए अस्पताल तक नहीं जाते हैं और इसके बजाय घर पर ही खुद दवा ले लेते हैं या अनौपचारिक ‘डिस्पेंसरी’ में जाते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल, धुंध संकट एक स्वास्थ्य संबंधी संकट बन गया है।’’ उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने इससे निपटने के लिए 10 साल की कार्ययोजना बनाई है।
पंजाब सरकार ने इससे निपटने के लिए स्कूलों को बंद करने, अत्यधिक धुआं छोड़ने वाले वाहनों पर नकेल कसने और पिकनिक और मनोरंजन स्थलों पर जाने पर रोक लगाने सहित कई उपाय किए हैं।
हालांकि, ये उपाय अपर्याप्त साबित हुए हैं।
भाषा खारी संतोष
संतोष
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