आधुनिक जापानी कविता के जनक शुनतारो तानिकावा का निधन |

आधुनिक जापानी कविता के जनक शुनतारो तानिकावा का निधन

आधुनिक जापानी कविता के जनक शुनतारो तानिकावा का निधन

:   Modified Date:  November 19, 2024 / 02:05 PM IST, Published Date : November 19, 2024/2:05 pm IST

तोक्यो, 19 नवंबर (एपी) हाइकू और अन्य परंपराओं से अलग मार्मिक आधुनिक जापानी कविता के जनक माने जाने वाले शुनतारो तानिकावा का पिछले दिनों निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे।

तानिकावा का 13 नवंबर को निधन हो गया। उनके बेटे केंसाकू तानिकावा ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि उनके पिता की मृत्यु वृद्धावस्था संबंधी कारणों से तोक्यो के एक अस्पताल में हुई।

शुनतारो ने ‘पीनट्स’ कॉमिक स्ट्रिप का अनुवाद किया था और एनीमेशन शृंखला ‘एस्ट्रो ब्वॉय’ का थीम गीत लिखा था।

शुनतारो तानिकावा ने 1952 में अपनी पहली रचना ‘टू बिलियन लाइट इयर्स ऑफ सॉलिट्यूड’ से साहित्य जगत को चौंका दिया था, जो दैनिक जीवन में ब्रह्मांड के प्रभाव पर एक साहसिक नजर थी जिसे रोजमर्रा की सरल भाषा में लिखा गया था। तानिकावा ने इसे गाब्रियल गार्सिया मार्खेज के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय उपन्यास ‘‘वन हंड्रेड ईयर्स आफ सोलिट्यूड’’ से पहले लिखा गया था और यह बहुत सफल रहा था।

उन्होंने 2022 में तोक्यो में अपने घर में एपी को दिए एक साक्षात्कार में कहा था, ‘‘ मेरे लिए, जापानी भाषा एक जमीन है। एक पौधे की तरह, मैं अपनी जड़ें उसमें जमाता हूं, जापानी भाषा से पोषाहार लेता हूं, मेरी पत्तियां उसी से आकार लेती हैं, फूल खिलते हैं और फसल लहलहाती है।’’

तानिकावा ने न केवल कविता में नए आयामों की खोज की बल्कि बोले जाने वाले शब्दों के दोहराव के संगीत को नया रूप दिया और छोटी छोटी चीजों में छुपे जादुई अहसास को अपनी कविताओं का माध्यम बनाया।

उनकी एक कविता का शीर्षक था, ‘‘मैं आधी रात के समय, रसोईघर में तुमसे बात करना चाहता था।’’

उन्होंने मदर गूज, मौरिस सेंडक और लियो लियोनी का भी अनुवाद किया। तानिकावा की रचनाओं का अंग्रेजी, चीनी और विभिन्न यूरोपीय भाषाओं सहित व्यापक रूप से अनुवाद किया गया है।

उनकी कुछ कृतियों को बच्चों के लिए चित्र पुस्तकों का आकार दिया गया जिन्हें अक्सर जापानी स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया जाता है। उन्होंने अपनी कविताओं में विदेशी मूल से लिए गए जापानी शब्दों को भी शामिल किया जैसे कोका-कोला।

अमेरिकी साहित्यिक संगठन पोएट्री फाउंडेशन के अनुसार, ‘तानिकावा की कविता अनुभव के प्रति आध्यात्मिक और अर्ध-धार्मिक दृष्टिकोण को दर्शाती है। सरल, संक्षिप्त भाषा में, वह गहन विचारों और भावनात्मक सत्यों का चित्रण करते हैं।’

तनिकावा का जन्म 1931 में दार्शनिक तेत्सुज़ो तनिकावा के पुत्र के रूप में हुआ था, और उन्होंने अपनी किशोरावस्था में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। इन कविताओं को उन्होंने उस युग के प्रसिद्ध कवियों जैसे मकोतो ओका और शुजी तेरायामा के साथ साझा किया।

उन्होंने एक बार कहा था, ‘मैं इस बात को लेकर ज़्यादा उत्सुक हूं कि मरने के बाद मैं कहां जाऊंगा। यह एक अलग दुनिया है, है न? बेशक, मैं दर्द नहीं चाहता। मैं किसी बड़ी सर्जरी या किसी और चीज़ के बाद मरना नहीं चाहता। मैं बस अचानक मरना चाहता हूं।’

उनके परिवार में उनके बेटे, संगीतकार केंसाकू तानिकावा और बेटी शिनो और कई पोते-पोतियां हैं

एपी वैभव नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)