लंदन, 14 सितंबर (भाषा) भारत के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष तरलोचन सिंह ने शनिवार को शीर्ष सिख निकाय और कनाडा के सिख सांसदों से आग्रह किया कि वे वहां के क्यूबेक प्रांत में उच्च पदों पर आसीन लोकसेवकों के लिए पगड़ी पर प्रतिबंध का मुद्दा उठाएं।
भारतीय संसद के पूर्व सदस्य सिंह ने जत्थेदार अकाल तख्त, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के अध्यक्ष और कनाडा के सिख सांसदों से आग्रह किया कि वे ब्रिटेन के अपने समकक्षों का अनुसरण करें, जिन्होंने सिख प्रतीकों की रक्षा के लिए इसी प्रकार के कानून में संशोधन कराया था।
विधेयक 21 के नाम से जाने जाने वाले और जून 2019 में पारित विवादास्पद कानून क्यूबेक प्रांत में न्यायाधीशों, पुलिस अधिकारियों, शिक्षकों और लोकसेवकों को काम के दौरान किप्पा, पगड़ी या हिजाब जैसे प्रतीक पहनने से रोकता है।
फरवरी 2024 में, क्यूबेक अपील अदालत ने कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाले फैसले में प्रांत के विवादास्पद धर्मनिरपेक्षता कानून को बरकरार रखा था।
यहां संक्षिप्त यात्रा पर आए सिंह ने एक बयान में कहा, ‘‘यह फ्रांस के कानून से भी अधिक गंभीर है, जहां सरकारी स्कूलों में सिख छात्रों के पगड़ी पहनने पर प्रतिबंध है।’’
उन्होंने कहा कि उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि कनाडा में सिख सांसदों ने अभी तक इसे समुदाय के खिलाफ बड़े भेदभाव के रूप में क्यों नहीं लिया है।
सिंह ने कहा, ‘‘हम दुनिया में एकमात्र धार्मिक समुदाय हैं, जहां हर किसी को धार्मिक नियमों के अनुसार लंबे बाल ढककर रखने की अनुमति है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आप सभी से अपील करता हूं कि क्यूबेक प्रांत के मुख्यमंत्री से इस मामले को फिर से खोलने और कानून में संशोधन करने का अनुरोध करें। मदद के लिए कैथोलिक व्यवस्थापकों से संपर्क किया जा सकता है। ब्रिटेन में, सिखों ने अपने निरंतर प्रयासों से सिख प्रतीकों की रक्षा के लिए इसी तरह के कानूनों में संशोधन कराया है।’’
भाषा नेत्रपाल पवनेश
पवनेश
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