(योषिता सिंह)
न्यूयॉर्क, नौ सितंबर (भाषा) विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र की निर्णय लेने वाली संरचनाएं आज की दुनिया को प्रतिबिंबित नहीं करती हैं और वैश्विक संगठन की आवाज कमजोर कर रही हैं। उन्होंने खेद जताया है कि चुनिंदा देश सुधार प्रक्रिया को विफल कर रहे हैं और सुधार के लिए केवल जुमलेबाजी करते हैं।
आधिकारिक यात्रा पर आईं लेखी ने कहा कि सुरक्षा परिषद के सुधार संयुक्त राष्ट्र के साथ भारत के जुड़ाव का एक प्रमुख पहलू है। उन्होंने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल महासभा को बताया था “संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में, प्रक्रियाओं में और किरदार में सुधार का समय आ गया है।”
उन्होंने पीटीआई-भाषा को एक विशेष साक्षात्कार में बताया, “साधारण तथ्य यह है कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के 75 वर्ष हो चुके हैं। लेकिन इसके निर्णय लेने वाली संरचनाएं, विशेष रूप से सुरक्षा परिषद, अब भी 1945 के काल में अटकी हैं और आज की दुनिया को प्रतिबिंबित नहीं करती हैं।”
लेखी ने जोर देकर कहा कि सुरक्षा परिषद को अधिक विश्वसनीय बनने के लिए आज की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करना होगा।
उन्होंने किसी देश का नाम लिए बिना कहा, “अफसोस की बात है कि सुधार प्रक्रिया को कुछ मुट्ठी भर देश विफल कर रहे हैं जो सुधार के लिए केवल जुमलेबाजी करते हैं। सुरक्षा परिषद के सुधारों का विरोध करके, वे वास्तव में बहुपक्षवाद को नुकसान पहुंचा रहे हैं।”
बहुपक्षवाद में सुधार के लिए मोदी के आह्वान का उल्लेख करते हुए, लेखी ने कहा, ‘चूंकि सदस्य राष्ट्रों के बीच सुधारों के लिए भारी समर्थन है, इसलिए हम उनके साथ काम करेंगे ताकि यह देखा जा सके कि सुधारों को कैसे आगे बढ़ाया जाए। मैंने इसे अपनी बैठक में उप महासचिव के साथ भी उठाया था।”
वर्तमान में सुरक्षा परिषद में दो साल के लिए एक अस्थायी सदस्य के रूप में भारत का कार्यकाल इस साल जनवरी में शुरू हुआ था। वह पिछले महीने 15-राष्ट्रों की परिषद का अध्यक्ष था।
भाषा
नेहा शाहिद
शाहिद
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