इस्लामाबाद, 17 अक्टूबर (एपी) तालिबान ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह ईरान सीमा पर ईरानी सुरक्षा बलों के हमले में अफगान नागरिकों के हताहत होने की रिपोर्ट की जांच कर रहा है।
रविवार को हुए इस हमले के बाद, तालिबान की यह पहली स्वीकारोक्ति है। उसने पहले इन रिपोर्टों को अफवाह बताया था।
वहीं, ईरान ने रविवार को सरावन के पास गोलीबारी की कोई घटना होने से इनकार किया है। यह क्षेत्र देश के अशांत दक्षिण-पूर्वी प्रांत सिस्तान और बलूचिस्तान का एक शहर है, जो तालिबान शासित अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित है।
हालांकि, हाल के महीनों में ईरान में अफगान प्रवासियों के विरोध में बयानबाजी बढ़ गई है, क्योंकि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण उसकी अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है। देश के पुलिस प्रमुख ने दावा किया है कि अगले छह महीनों में लगभग 20 लाख प्रवासियों को निर्वासित किया जाएगा।
बलूच लोगों की पैरोकारी करने वाले समूह ‘हलवाश’ ने गोलीबारी पर कई रिपोर्ट जारी की है। इनमें हमले के दो अज्ञात गवाहों का हवाला दिया गया है और अन्य लोगों ने दावा किया है कि मरने वालों की संख्या कम से कम दर्जनों में है और कई लोग घायल हुए हैं।
इसने कई शव और गोली लगने से घायल हुए लोगों की तस्वीरें प्रकाशित की हैं। हलवाश ने आरोप लगाया कि ईरानी सुरक्षा बलों ने हमले में आग्नेयास्त्रों और रॉकेट लॉंचर, दोनों का इस्तेमाल किया।
तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि एक उच्च पदस्थ प्रतिनिधिमंडल कथित घटना की जांच कर रहा है।
प्रतिनिधिमंडल में सुरक्षा मामलों के उप गृह मंत्री और रक्षा और खुफिया सेवा निदेशालय सहित विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
मुजाहिद ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘प्रतिनिधिमंडल को मामले की विस्तृत और सावधानीपूर्वक जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अपना कार्यभार संभालने के बाद से, प्रतिनिधिमंडल ने तथ्यों का पता लगाने के लिए अथक प्रयास किया है। यह जल्द से जल्द स्थिति स्पष्ट करने के लिए प्रतिबद्ध है।’’
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने कथित घटना की गहन और पारदर्शी जांच की मांग की है। इसने कहा कि प्रवासियों, शरणार्थियों और शरण चाहने वालों के अधिकारों को अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा संरक्षित किया गया है।
मिशन ने कहा, ‘‘यूएनएएमए (अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन) 14 से 15 अक्टूबर को ईरान के काला गण सीमा क्षेत्र के सरबाज जिले के सिस्तान प्रांत में हुई घटना की परेशान करने वाली रिपोर्टों पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करता है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि अफगान प्रवासियों के एक बड़े समूह पर गोलीबारी की गई, जिसके परिणामस्वरूप कई मौतें हुईं और लोग घायल हुए।’’
बुधवार को ईरान के प्रांतीय सीमा रक्षक के कमांडर जनरल रेजा शोजाई ने गोलीबारी की खबरों को ‘‘पूरी तरह से झूठा’’ करार दिया था।
अफगानिस्तान मामलों के लिए ईरान के राष्ट्रपति के विशेष प्रतिनिधि हसन काजमी घोमी ने भी हमले से जुड़े दावों को ‘‘असत्य’’ बताया और इसके प्रसार के लिए झूठ बोलने वाले मीडिया के उन्माद को जिम्मेदार ठहराया।
अफगानिस्तान की पूर्ववर्ती एवं पश्चिमी देशों द्वारा समर्थित सरकार के अधिकारियों ने कहा कि ईरान को अपराधियों को न्याय के दायरे में लाना चाहिए।
सोवियत संघ (अब विघटित) द्वारा 1979 में अफगानिस्तान पर आक्रमण किये जाने से लेकर तालिबान के पहले शासन, 2003 में अमेरिका के नेतृत्व में आक्रमण और 2021 में तालिबान के कब्जे तक, कई दशकों से बड़ी संख्या में अफगान नागरिक ईरान को अपना घर मानते आए हैं।
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी का अनुमान है कि ईरान में 38 लाख विस्थापित लोग रहते हैं, जिनमें से अधिकांश अफगान हैं।
पुलिस और अधिकारी संकेत दे रहे हैं कि वे और अधिक अफगान नागरिकों को निर्वासित करना चाहते हैं।
ईरान के पुलिस प्रमुख अहमद रेजा रादान ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि देश अगले छह महीनों में 20 लाख प्रवासियों को निर्वासित करने की योजना बना रहा है। उन्होंने कहा कि लगभग 5,00,000 लोगों को पहले ही निर्वासित किया जा चुका है।
एपी सुभाष माधव
माधव
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