वजन के हिसाब से हवाई किराये के भुगतान पर नैतिकता से जुड़े सवाल |

वजन के हिसाब से हवाई किराये के भुगतान पर नैतिकता से जुड़े सवाल

वजन के हिसाब से हवाई किराये के भुगतान पर नैतिकता से जुड़े सवाल

:   Modified Date:  September 9, 2024 / 04:24 PM IST, Published Date : September 9, 2024/4:24 pm IST

(डेनिस टोलकाच, जेम्स कुक यूनिवर्सिटी और स्टीफन प्रैट, सेंट्रल फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी)

टाउंसविले (ऑस्ट्रेलिया), नौ सितंबर (द कन्वरसेशन) कल्पना कीजिए कि आप अपने दो किशोर बच्चों के साथ उड़ान के लिए चेक-इन कर रहे हैं। काउंटर पर आपको बताया जाता है कि आपके सबसे छोटे बच्चे के सूटकेस का वजन सीमा से दो किलोग्राम ज्यादा है। उनके ज्यादा सामान के लिए आपको 75 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना देना पड़ता है।

यह जुर्माना मनमाना और अनुचित लगता है। सबसे छोटे बच्चे का वजन लगभग 45 किलोग्राम है और उसके सामान का वजन 25 किलोग्राम है, जिससे उड़ान में उनका कुल भार 70 किलोग्राम हो जाता है। दूसरी ओर, उसके बड़े भाई का वजन 65 किलोग्राम है और वह चेक-इन के लिए 23 किलोग्राम सामान लेकर आया है। उनका कुल वजन ज्यादा है यानी 88 किलोग्राम-फिर भी उसपर कोई जुर्माना नहीं लगता।

जाहिर है, चीजें इतनी आसान नहीं हैं। यात्रियों से उनके वजन के आधार पर किराया वसूलना कई कारणों से बेहद विवादास्पद है। लेकिन इसने कुछ एयरलाइन को ऐसी नीतियों के साथ प्रयोग करने से नहीं रोका है।

कल्पना कीजिए कि आप अपनी उड़ान के लिए चेक-इन करते हैं और कर्मचारी आपको बताता है कि आप ज्यादा वजन के यात्री हैं, इसलिए आपको एक अतिरिक्त सीट खरीदनी होगी। आप भेदभाव महसूस करते हैं क्योंकि आप अन्य यात्रियों की तरह ही सेवा का उपयोग कर रहे हैं और आपका वजन आपके नियंत्रण से बाहर है।

लेकिन कई लोगों के अनुभव और मीडिया में जोरदार बहस के बावजूद, इस मामले पर यात्री खुद क्या सोचते हैं, इस पर कोई औपचारिक अध्ययन नहीं हुआ है। हाल में प्रकाशित हमारे शोध ने वैकल्पिक हवाई किराया नीतियों पर हवाई यात्रियों के विचारों पर गौर किया ताकि यह समझा जा सके कि क्या जनता उन्हें स्वीकार्य मानती है और कौन से नैतिक विचार उनके विचारों को निर्धारित करते हैं।

हालांकि हमें कई तरह के नैतिक विरोधाभास मिले, लेकिन ज्यादातर यात्री स्वार्थ से प्रेरित थे।

एक विवादास्पद लेकिन महत्वपूर्ण विषय

यह मुद्दा कि क्या एयरलाइन को यात्रियों का मूल्यांकन करना चाहिए, एक नैतिकता वाला सवाल है जिसका कोई आसान जवाब नहीं है।

इसकी संवेदनशीलता के बावजूद, विमानन उद्योग यात्री के वजन को नजरअंदाज नहीं कर सकता। एयरलाइंस समय-समय पर यात्री वजन सर्वेक्षण करती हैं क्योंकि उन्हें उड़ान सुरक्षा सुनिश्चित करने और ईंधन की खपत का अनुमान लगाने के लिए भार की सटीक गणना करने की आवश्यकता होती है।

साक्ष्यों से पता चलता है कि यात्रियों का वजन बढ़ रहा है। अब बंद हो चुकी समोआ एयर और हवाईयन एयरलाइंस सहित कई एयरलाइन ने एक कदम आगे बढ़कर यात्रियों का नियमित रूप से वजन मापने का प्रयोग किया है।

उदाहरण के लिए, समोआ एयर पहली एयरलाइन बन गई जिसने ‘‘अपने वजन के अनुसार भुगतान करें’’ नीति शुरू की, जहां आपके टिकट की कीमत आपके और आपके सामान के संयुक्त वजन के सीधे आनुपातिक थी।

इसके विपरीत, कनाडा में लंबे समय से ‘‘एक व्यक्ति, एक किराया’’ नीति लागू है। दिव्यांग यात्रियों को अगर जरूरत हो तो दूसरी सीट खरीदने के लिए मजबूर करना प्रतिबंधित है और इसे भेदभावपूर्ण माना जाता है, जिसमें मोटापे के कारण कार्यात्मक दिव्यांगता वाले यात्री भी शामिल हैं।

मामला और भी जटिल बन जाता है क्योंकि यात्री और सामान के वजन का मुद्दा न केवल नैतिक और वित्तीय, बल्कि पर्यावरणीय भी है। विमान पर अधिक वजन होने से अधिक जेट ईंधन जलता है और अधिक कार्बन उत्सर्जन होता है।

मानव-चालित जलवायु परिवर्तन का लगभग पांच प्रतिशत विमानन के कारण होता है, और उद्योग को ईंधन की खपत कम करने के लिए भारी दबाव का सामना करना पड़ता है, जबकि यह कम कार्बन विकल्प उपलब्ध होने की प्रतीक्षा कर रहा है।

यात्री वास्तव में क्या सोचते हैं? इस मुद्दे के बारे में लोग वास्तव में क्या महसूस करते हैं, इसका बेहतर अंदाजा लगाने के लिए, हमने अलग-अलग वजन वाले 1,012 अमेरिकी यात्रियों का सर्वेक्षण किया और उन्हें तीन विकल्प प्रस्तुत किए:

1. मानक नीति- वर्तमान में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली नीति जिसमें यात्रियों को उनके वजन की परवाह किए बिना एक मानक मूल्य का भुगतान करना होता है

2. सीमा नीति- यदि यात्रियों का वजन सीमा से अधिक है तो उनपर जुर्माना लगाया जाता है

3. शरीर के वजन की इकाई नीति- यात्री अपने शरीर के वजन के आधार पर, प्रत्येक पाउंड के हिसाब से एक व्यक्तिगत मूल्य का भुगतान करते हैं।

अलग-अलग वजन वाले प्रतिभागियों के लिए मानक नीति सबसे स्वीकार्य थी, हालांकि यात्री जितना भारी था, वे मानक नीति को उतना ही अधिक पसंद करते थे। इसे आंशिक रूप से यथास्थिति पूर्वाग्रह द्वारा समझाया जा सकता है। आम तौर पर, लोगों के एक परिचित उत्तर को चुनने की संभावना होती है।

सीमा नीति सबसे कम स्वीकार्य थी। इस नीति को स्थापित सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन करने वाला और आम तौर पर कम निष्पक्ष माना गया।

शरीर के वजन की इकाई नीति को सीमा नीति के मुकाबले प्राथमिकता दी गई, हालांकि प्रतिभागियों ने इस बात पर चिंता जताई कि क्या इसे समाज द्वारा स्वीकार किया जाएगा।

हालांकि, कई उत्तरदाताओं ने सीमा नीति को भेदभावपूर्ण मानते हुए स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया, फिर भी पर्यावरणीय चिंता ने शरीर भार नीति की स्वीकृति के स्तर में भूमिका निभाई।

यहां आलोचनात्मक दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। ये पर्यावरण-केंद्रित यात्री आम तौर पर युवा भी थे और उनका वजन भी कम था, इसलिए कई लोग वैकल्पिक नीतियों से आर्थिक रूप से लाभान्वित होंगे।

समग्र रूप से नीति निर्माताओं के लिए, हमारा अध्ययन बताता है कि जब विवादास्पद टिकट नीतियों की बात आती है, तो लोग किसी भी चीज की तुलना में अपने स्वार्थ से अधिक प्रभावित होते हैं।

(द कन्वरसेशन) आशीष माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)