नॉर्मन (अमेरिका), 25 अक्टूबर (एपी) राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि वह शुक्रवार को मूल जातीय समुदायों के ‘नेटिव अमेरिकी’ या ‘अमेरिकन इंडियन’ बच्चों को जबरन बोर्डिंग स्कूलों में भेजने में देश की भूमिका के लिए औपचारिक रूप से माफी मांगेंगे, जहां कई बच्चों का शारीरिक, भावनात्मक और यौन शोषण किया गया और लगभग 1,000 बच्चों की मौत हो गई।
अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय एवं आधिकारिक आवास व्हाइट हाउस से बृहस्पतिवार को एरिजोना के लिए रवाना हुए बाइडन ने कहा, ‘‘मैं कुछ ऐसा कर रहा हूं जो मुझे बहुत पहले कर लेना चाहिए था। हमें ‘अमेरिकन इंडियन’ समुदाय से बहुत पहले ही औपचारिक माफी मांग लेनी चाहिए थी कि हमने इतने सालों तक उनके बच्चों के साथ कैसा व्यवहार किया।’’
न्यू मैक्सिको में ‘पुएब्लो ऑफ लगुना’ जनजाति की सदस्य गृह मंत्री डेब हालैंड ने कहा, ‘‘मैंने इतने वर्षों में यह कभी नहीं सोचा था कि इस तरह का कुछ होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। मुझे पूरा भरोसा है कि यह ‘अमेरिकन इंडियन’ समुदाय के सभी लोगों के लिए बहुत बड़ी बात है।’’
हालैंड गृह विभाग की प्रमुख बनने वाली पहली ‘नेटिव इंडियन’ हैं। जातीय मूल की सदस्य हालैंड ने गृह मंत्री बनने के तुरंत बाद बोर्डिंग स्कूल प्रणाली मामले में जांच शुरू की थी। जांच में पता चला था कि करीब 18,000 बच्चों को उनके माता पिता से लेकर जबरन स्कूलों में भेजा गया ताकि वे श्वेत समाज के भीतर रचने बसने के काबिल बन सकें। इन बच्चों में चार साल तक की उम्र के बच्चे भी शामिल थे।
इतना ही नहीं संघीय और राज्य के प्राधिकारियों ने जनजातीय मूल के लोगों को उनकी भूमि से बेदखल करने का प्रयास किया।
जांच में 500 से अधिक स्कूलों में लगभग 1,000 बच्चों की मौत और 74 कब्र स्थलों का भी जिक्र किया गया है।
अब तक किसी भी राष्ट्रपति ने इन बच्चों को जबरन उनके माता पिता से अलग किए जाने के लिए कभी औपचारिक रूप से माफी नहीं मांगी है। इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा परिभाषित नरसंहार का ही एक तत्व माना गया है। अमेरिका में 150 से अधिक वर्ष पूर्व अमेरिकी सरकार ने जनजातीय समुदाय से आने वाले ‘नेटिव अमेरिकन’, ‘अलास्का नेटिव’ और ‘नेटिव हवाइयन’ मूल के निवासियों का खात्मा करने का काम किया था।
एपी सुरभि नरेश
नरेश
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