संयुक्त राष्ट्र, 25 मार्च (भाषा) भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में कहा कि शांति स्थापना का कार्य बहुत ही चुनौतीपूर्ण है और इसमें शांतिसैनिकों को गैर-सरकारी तत्वों, सशस्त्र समूहों तथा आतंकवादियों से जूझना पड़ता है।
भारत ने यह भी कहा कि जटिल संघर्षों और खतरों के इस युग में शांति स्थापना के खिलाफ अपराध करने वालों को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।
ये टिप्पणियां संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में अनुकूलता को बढ़ाने पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस के दौरान कीं।
उन्होंने कहा, ‘‘आज संयुक्त राष्ट्र शांतिसैनिकों को गैर-सरकारी तत्वों, सशस्त्र समूहों, आतंकवादियों और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्कों की मौजूदगी से जूझना पड़ रहा है। प्रौद्योगिकी प्रगति ने गलत/अभद्र/भ्रामक सूचना और घृणास्पद भाषण, ड्रोन, आईईडी आदि सहित नये युग के हथियारों के रूप में नयी चुनौतियां पैदा की हैं। ये कुछ नयी वास्तविकताएं हैं, जिनका शांतिसैनिकों को सामना करना पड़ रहा है।’’
राजदूत ने कहा, ‘‘शांतिसैनिकों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। जटिल संघर्षों और विषम खतरों से भरे इस युग में, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि शांति के लिए अपनी जान जोखिम में डालने वालों को पर्याप्त सुरक्षा मिले और शांतिसैनिकों के खिलाफ अपराध करने वालों को न्याय के कठघरे में लाया जाए।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सैन्य/पुलिस योगदान देने वाले देशों को शत्रुतापूर्ण वातावरण में प्रभावी ढंग से काम करने के लिए उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए अपने कार्मिकों की क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
हरीश ने कहा, ‘‘भारत अपने संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र (सीयूएनपीके) में आधुनिक शांति स्थापना की विशिष्ट मांगों का समाधान करने वाले पाठ्यक्रमों को तैयार करने और पेश करने का इच्छुक है, जो दो दशकों से अधिक समय से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांतिसैनिकों को प्रशिक्षण दे रहा है।’’
इस बात पर जोर देते हुए कि उन्नत निगरानी, संचार और डेटा विश्लेषण उपकरणों के उपयोग को शांति अभियानों में एकीकृत किया जाना चाहिए, ताकि स्थितिजन्य जागरूकता और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं में सुधार हो सके, हरीश ने कहा कि भारत इस संबंध में प्रौद्योगिकी सक्षमकर्ता के रूप में अपनी विशेषज्ञता साझा करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि शांति स्थापना के लिए आधुनिक चुनौतियों का मुकाबला करने के वास्ते शांति स्थापना मिशन को पर्याप्त रूप से वित्त और संसाधन उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।
सितंबर 2024 तक 10 अभियानों में शामिल 153 महिलाओं सहित 5,384 कर्मियों के साथ भारत संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में योगदान देने वाले शीर्ष देशों में शामिल है।
लगभग 180 भारतीय शांतिसैनिकों ने अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया है। यह संख्या सैन्य योगदान देने वाले किसी भी अन्य देश के मुकाबले ज्यादा है।
भाषा नेत्रपाल पारुल
पारुल
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)