सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों का तेजी से बूढ़ा हो सकता है मस्तिष्क |

सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों का तेजी से बूढ़ा हो सकता है मस्तिष्क

सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों का तेजी से बूढ़ा हो सकता है मस्तिष्क

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Modified Date: April 12, 2025 / 08:37 PM IST
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Published Date: April 12, 2025 8:37 pm IST

(अलेक्जेंडर एफ सैंटिलो, लुंड विश्वविद्यालय और कैसेंड्रा वाननन और धमिधु एरात्ने, मेलबर्न विश्वविद्यालय द्वारा)

मेलबर्न/लुंड, 12 अप्रैल (द कन्वरसेशन) सिजोफ्रेनिया किस कारण होता है? यह एक गंभीर मानसिक रोग है, जिससे दुनियाभर में दो करोड़ से अधिक लोग पीड़ित हैं और इस बीमारी के लक्षणों में बार-बार होने वाला मतिभ्रम शामिल है।

सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक विकार है जिससे व्यक्ति की सोच, भावनाएं, और व्यवहार प्रभावित होते हैं।

सिजोफ्रेनिया क्यों होता है? इसके बारे में वर्तमान सिद्धांतों से पता चलता है कि यह मनुष्य के वयस्क होने के शुरूआती दौर में मस्तिष्क के विकास में परिवर्तन से संबद्ध हो सकता है।

सिजोफ्रेनिया को डिस्लेक्सिया, ‘ऑटिज्म और अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर’ (एडीएचडी) जैसी स्थितियों के समान माना जाता है।

हालांकि, हमारा शोध बताता है कि मस्तिष्क का तेजी से बूढ़ा होना सिजोफ्रेनिया के विकास का एक अन्य संभावित कारण हो सकता है और इसे एक साधारण रक्त जांच का इस्तेमाल करके मापा जा सकता है।

हमने सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों के रक्त में प्रोटीन को मापा जो सीधे मस्तिष्क के न्यूरॉन्स – मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं – से प्राप्त होते हैं।

‘न्यूरोफिलामेंट लाइट प्रोटीन’ (एनएफएल) नामक यह प्रोटीन लंबी, धागे जैसी संरचनाओं से बना होता है जो तंत्रिका कोशिकाओं के आकार और आकृति को बनाए रखने में मदद करता है।

एनएफएल के बढ़े हुए स्तर को कई तरह की तंत्रिका संबंधी स्थितियों से जोड़ा गया है, जिनमें अल्जाइमर रोग, मल्टीपल स्केलेरोसिस, पार्किंसंस रोग और फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया शामिल हैं।

लेकिन एनएफएल का स्तर भी उम्र के साथ बढ़ता है क्योंकि ये प्रोटीन खुद को प्रभावी ढंग से ठीक करने की क्षमता खो देते हैं। स्वस्थ मस्तिष्क की उम्र बढ़ने के लक्षणों में थोड़ा अधिक भूलने की आदत, धीमी प्रतिक्रिया समय और कई कार्यों को एक साथ करने में कठिनाई शामिल हो सकती है।

ऐसे बदलाव सिजोफ्रेनिया जैसी बीमारियों में देखे जाने वाले लक्षणों से बहुत भिन्न हैं। हमारे शोध में पाया गया कि, सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों में एनएफएल का स्तर स्वस्थ लोगों की तुलना में उम्र बढ़ने के साथ अधिक तेजी से बढ़ता है, जो मस्तिष्क के बूढ़े होने की प्रक्रिया में तेजी आने का संकेत देता है।

एमआरआई स्कैन से ‘‘मस्तिष्क की आयु’’ की गणना करने जैसे अन्य तरीकों से प्राप्त डेटा भी सिजोफ्रेनिया वाले लोगों में मस्तिष्क के तेजी से बूढ़े होने की ओर इशारा करता है।

जीवनशैली कारक

सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों के लिए, तेजी से उम्र बढ़ना पहले से ही एक गंभीर समस्या है, जैसा कि मेलबर्न के मनोचिकित्सक और हमारे अध्ययन के वरिष्ठ लेखक क्रिस्टोस पेंटेलिस बताते हैं:

एक महत्वपूर्ण समस्या यह है कि क्रोनिक सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोग अक्सर समग्र रूप से अस्वास्थ्यकर जीवनशैली वाले होते हैं। वे अकेलेपन, बेरोजगारी, शारीरिक गतिविधियों की कमी का सामना करते हैं। धूम्रपान करते हैं और मादक पदार्थों का सेवन करते हैं जो उनकी स्थिति को और खराब कर सकता है।

वर्तमान में, सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों की जीवन प्रत्याशा औसत से 20-30 वर्ष कम होती है। हालांकि, जीवनशैली सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों के शरीर की उम्र बढ़ने में तेजी लाने का एक कारक है, लेकिन हमारा अध्ययन इस कष्टदायक बीमारी को समझने और समय रहते उसका इलाज करने में एक और महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

(द कन्वरसेशन) देवेंद्र सुभाष

सुभाष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)