सूडान में अर्धसैनिक बलों ने सेना के नियंत्रण वाले शहर पर किया हमला |

सूडान में अर्धसैनिक बलों ने सेना के नियंत्रण वाले शहर पर किया हमला

सूडान में अर्धसैनिक बलों ने सेना के नियंत्रण वाले शहर पर किया हमला

:   Modified Date:  June 30, 2024 / 09:22 PM IST, Published Date : June 30, 2024/9:22 pm IST

काहिरा, 30 जून (एपी) सूडान के सेन्नार प्रांत के एक शहर में सूडानी सेना और एक कुख्यात अर्धसैनिक समूह के बीच संघर्ष छिड़ गया है, जिससे 14 महीने से जारी संघर्ष में एक और मोर्चा खुल गया है। इस संघर्ष के चलते अफ्रीकी देश अकाल के कगार पर पहुंच गया है। यह जानकारी अधिकारियों ने रविवार को दी।

अर्धसैनिक बल ‘रैपिड सपोर्ट फोर्सेज’ ने इस सप्ताह के प्रारंभ में सेन्नार प्रांत पर अपना आक्रमण शुरू किया था और प्रांतीय राजधानी सिंगा की ओर बढ़ने से पहले जेबल मोया गांव पर हमला किया, जहां नया संघर्ष शुरू हो गया।

निवासियों और एक स्थानीय अधिकार समूह के अनुसार, ट्रकों में सवार होकर आये स्वचालित राइफलों से लैस आरएसएफ लड़ाकों ने सप्ताहांत में राजधानी खार्तूम से लगभग 350 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में सिंगा में उत्पात मचाया। उन्होंने बताया कि लड़ाकों ने स्थानीय बाजार में घरों, दुकानों में लूटपाट की और शहर के मुख्य अस्पताल पर कब्जा कर लिया।

समूह ने शनिवार को एक बयान में दावा किया कि उसने सिंगा में सेना की 17वीं इन्फैंट्री डिवीजन मुख्यालय पर कब्जा कर लिया है। स्थानीय मीडिया ने यह भी बताया कि आरएसएफ सेना के सुरक्षा घेरे में सेंध लगाने में कामयाब रहा।

हालांकि, सूडानी सशस्त्र बलों के प्रवक्ता ब्रिगेडियर नबील अब्दुल्ला ने कहा कि सेना ने मुख्यालय पर फिर से नियंत्रण पा लिया है और रविवार सुबह भी लड़ाई जारी थी। किसी भी पक्ष के दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी।

संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन के अनुसार, कम से कम 327 परिवारों को जेबल मोया और सिंगा से सुरक्षित क्षेत्रों में भागना पड़ा। संगठन ने एक बयान में कहा, ‘स्थिति तनावपूर्ण और अप्रत्याशित बनी हुई है।’

निवासियों ने बताया कि आरएसएफ लड़ाकों ने सिंगा में घरों और दुकानों में बड़े पैमाने पर लूटपाट की तथा निजी वाहन, मोबाइल फोन, आभूषण और अन्य मूल्यवान वस्तुएं जब्त कर लीं।

पिछले साल अप्रैल में संघर्ष शुरू होने के बाद से अर्धसैनिक समूह पर देश भर में अधिकारों के घोर उल्लंघन का आरोप लगाया गया है, जब सेना और आरएसएफ के बीच बढ़ते तनाव ने खार्तूम और अन्य जगहों पर खुले संघर्ष का रूप ले लिया था।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस विनाशकारी संघर्ष में 14,000 से अधिक लोग मारे गए हैं और 33,000 घायल हुए हैं, लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह संख्या कहीं अधिक हो सकती है।

एपी अमित प्रशांत

प्रशांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)