रफह (गाजा पट्टी), 21 जनवरी (एपी)इजराइल और हमास के बीच 15 महीने से अधिक समय से जारी युद्ध पर विराम लगने के बाद फलस्तीनी अपने पैतृक स्थानों की ओर लौट रहे हैं जहां उनका सामना बर्बादी के भयानक मंजर से हो रहा है। खंडहर में तब्दील इमारतों से शहर ‘भुतहा’ नजर आ रहे हैं।
भूमध्य सागर के तट पर छोटे से इलाके में सीमित गाजा शरणार्थी शिविर शहरों में बंटा हुआ है। एसोसिएटेड प्रेस द्वारा ड्रोन से ली गई तस्वीरों में जहां तक नजर जाती है वहां तक मलबे के ढेर दिखाई देते हैं। यह मंजर इजराइल और हमास के बीच चले सबसे लंबे और सबसे घातक युद्ध के रक्तरंजित इतिहास का गवाह है।
रफह के रहने वाले 38 वर्षीय हुसैन बरकत मलबे की ओर इशारा करते हुए कहते हैं, ‘‘जैसा कि आप देख सकते हैं, यह एक भुतहा शहर में तब्दील हो गया है। कुछ भी नहीं बचा है।’’ बरकत का घर भी हमले में तबाह हो गया है।
आलोचकों का कहना है कि इजराइल ने गाजा में जीवन के ताने-बाने को नष्ट करने के लिए भीषण अभियान चलाया है और इन आरोपों पर दो अंतरराष्ट्रीय अदालतों में विचार किया जा रहा है। इजराइल पर लगाए गए इन आरोपों में जनसंहार के आरोप भी शामिल हैं।
इजराइल ने इन आरोपों का खंडन किया है। इजराइल की दलील है कि उसकी सेना घने शहरी इलाकों में एक जटिल लड़ाई लड़ रही है और वह नागरिकों और उनके बुनियादी ढांचे को अनुचित नुकसान पहुंचाने से बचने की कोशिश करती है।
सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तविकता जटिल है। ब्रिटिश थिंकटैंक ‘रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट’ में सैन्य विज्ञान निदेशक मैथ्यू सैविल ने कहा, ‘‘शहरी वातावरण में इस अवधि (एक वर्ष से अधिक) तक चले अभियान में जहां आपका प्रतिद्वंद्वी छिपा हुआ है, आपको अधिक क्षति होने की आशंका होती है।’’
सैविल ने कहा कि इजरायल के अभियान की प्रकृति के बारे में व्यापक निष्कर्ष निकालना कठिन है।
एपी धीरज पवनेश
पवनेश
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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