अन्य फिल्म उद्योगों और कार्यस्थलों को भी न्यायमूर्ति हेमा समिति जैसी समितियों की जरूरत: प्रियामणि |

अन्य फिल्म उद्योगों और कार्यस्थलों को भी न्यायमूर्ति हेमा समिति जैसी समितियों की जरूरत: प्रियामणि

अन्य फिल्म उद्योगों और कार्यस्थलों को भी न्यायमूर्ति हेमा समिति जैसी समितियों की जरूरत: प्रियामणि

:   Modified Date:  September 28, 2024 / 03:23 PM IST, Published Date : September 28, 2024/3:23 pm IST

यास द्वीप (अबू धाबी), 28 सितंबर (भाषा) अभिनेत्री प्रियामणि ने कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि अन्य फिल्म उद्योगों के लिए भी न्यायमूर्ति हेमा समिति जैसी समितियां गठित किए जाने की जरूरत है।

तेलुगु, तमिल, मलयालम, हिंदी और कन्नड़ फिल्मों में काम कर चुकीं प्रियामणि ने कहा कि महिलाएं अनंत काल से ‘‘अत्याचार’’ का सामना करती आ रही हैं।

उन्होंने यहां ‘आइफा उत्सव’ के ‘ग्रीन कार्पेट’ के दौरान ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘अन्य उद्योगों और अन्य कार्यस्थलों पर भी ऐसी समितियां होनी चाहिए। यदि आप अपने कार्यस्थल पर सुरक्षित नहीं हैं, तो आप (नियोक्ता) क्या कर रहे हैं? ये सभी चीजें अनंत काल से होती आ रही हैं। कुछ लोग हैं जिन्होंने इसके बारे में बात की है और कुछ ऐसे हैं जिन्होंने इस पर बात नहीं की।’’

अभिनेत्री ने मलयालम सिनेमा में महिलाओं के शोषण पर न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट के मद्देनजर यह टिप्पणी की।

प्रियामणि ने साथ ही कहा कि वह इस साल अपनी दो फिल्मों ‘मैदान’ और ‘आर्टिकल 370’ को मिली प्रतिक्रिया से खुश हैं।

भाषा

सिम्मी नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

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