(मानस प्रतिम भुइयां)
वाशिंगटन, पांच नवंबर (भाषा) भारत-अमेरिका संबंधों में आये सकारात्मक परिवर्तन की गति में किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं होगा हालांकि ट्रंप प्रशासन और हैरिस सरकार के बीच नयी दिल्ली के प्रति दृष्टिकोण में अंतर हो सकता है। विदेश नीति विशेषज्ञों ने यह बात कही है।
अमेरिका में मंगलवार को नये राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान हो रहा है।
डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में व्हाइट हाउस पर कब्जा जमाने के लिए चुनावी मैदान में हैं।
‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ के अमेरिका चैप्टर के कार्यकारी निदेशक ध्रुव जयशंकर ने कहा कि व्यापार, ऊर्जा और आव्रजन के क्षेत्रों में संबंधों की दिशा अलग-अलग होने की संभावना है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “मुझे लगता है कि ट्रंप के साथ व्यापार और आव्रजन को लेकर बातचीत में थोड़ी कठिनाइयां आ सकती हैं हालांकि कई अन्य मुद्दों पर उनकी भारत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ संबंध बहुत अच्छे है।”
जयशंकर ने कहा, “वहीं दूसरी ओर हैरिस के साथ कुछ निरंतरता होगी जैसा कि हमने पिछले चार वर्षों में बाइडन प्रशासन के अंतर्गत देखा है। लेकिन मुझे लगता है कि प्रगतिशील एजेंडा और विदेश नीति बेहतर होगी और इसका भारत के साथ संबंधों पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है।”
उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में भारत-अमेरिका सहयोग आगे चलकर विशाल होने वाला है लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि हैरिस या ट्रंप सरकार के दृष्टिकोण में अंतर हो सकता है।
‘अटलांटिक काउंसिल’ के पश्चिम एशिया कार्यक्रम के सीनियर फेलो कपिल शर्मा ने कहा कि अगले अमेरिकी राष्ट्रपति को भारत के साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार करना होगा क्योंकि उनके पास कोई और विकल्प नहीं होगा।
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि दोनों नेताओं को (भारत के साथ) मैत्रीपूर्ण व्यवहार करना होगा। मुझे नहीं लगता कि उनके पास कोई और विकल्प है। भारत अगले 20-30 वर्षों में किसी समय दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और यह ऐसा देश नहीं है जिसे आप अनदेखा कर सकते हैं।”
सीनेटर रॉबर्ट टोरिसेली और कांग्रेसमैन फ्रैंक पैलोन के कार्यालयों में काम कर चुके शर्मा ने कहा, “मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि कौन नेता आएगा या फिर वे भारत के लिए कैसे काम करेंगे। चिंता इस बात की है वे विवादास्पद मुद्दों को कैसे संभालते हैं।”
उन्होंने कहा, “लेकिन अगर आप पिछले कुछ वर्षों में विश्व और वैश्विक भूराजनीति के उतार-चढ़ाव के बारे में सोचते हैं तो रिश्ते उस तरह से पटरी से नहीं उतरे जैसा कि 15-20 वर्ष पहले जा सकते थे।”
कैपिटल हिल में कई वर्षों का अनुभव रखने वाले अनंग मित्तल ने कहा कि ट्रंप, हैरिस की तुलना में भारत के लिए अधिक मैत्रीपूर्ण साबित हो सकते हैं।
मित्तल ने सदन के स्पीकर माइक जॉनसन के लिए डिजिटल प्रमुख के रूप में भी काम किया है।
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह स्पष्ट है कि भारत-अमेरिका साझेदारी बहुत मजबूत है और यह किसी भी पार्टी के सत्ता में आने पर भी कायम रहेगी।”
मित्तल ने कहा, “यह स्पष्ट है कि डोनाल्ड ट्रंप, हैरिस प्रशासन की तुलना में अधिक मैत्रीपूर्ण साबित हो सकते हैं।”
मित्तल ने अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दावेदारी पर कहा कि यह दशकों में देखी गई सबसे कड़ी चुनावी लड़ाइयों में से एक है।
भाषा जितेंद्र माधव
माधव
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