इंडोनेशिया के तट पर करीब 140 रोहिंग्या फंसे |

इंडोनेशिया के तट पर करीब 140 रोहिंग्या फंसे

इंडोनेशिया के तट पर करीब 140 रोहिंग्या फंसे

:   Modified Date:  October 23, 2024 / 12:35 PM IST, Published Date : October 23, 2024/12:35 pm IST

लाबुहान हाजी (इंडोनेशिया), 23 अक्टूबर (एपी) इंडोनेशिया के सुदूरवर्ती उत्तरी प्रांत आचेह के समुद्र तट से लगभग एक मील की दूरी पर मंगलवार को करीब 140 रोहिंग्या लंगर डाले खड़ी नौका में फंसे हुए हैं क्योंकि स्थानीय लोगों ने उन्हें उतरने की अनुमति नहीं दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

स्थानीय पुलिस ने बताया कि बांग्लादेश के कॉक्स बाजार से दक्षिण आचेह जिले के लाबुहान हाजी के समुद्री क्षेत्र तक लगभग दो सप्ताह की यात्रा के दौरान तीन रोहिंग्या की मौत हो गई।

अधिकारी रविवार से तबियत बिगड़ने के कारण 11 रोहिंग्या को अस्पताल में भर्ती करा चुके हैं।

दक्षिण आचेह में मछुआरा समुदाय के प्रमुख मोहम्मद जबाल ने कहा, ‘‘अन्य स्थानों पर जो कुछ भी हुआ है, उसके कारण हमारा समुदाय (मछुआरा समुदाय) उन्हें उतरने नहीं देगा। उन्होंने स्थानीय निवासियों में अशांति पैदा कर दी है।’’

बंदरगाह पर लटके एक बड़े बैनर पर लिखा है, ‘‘दक्षिण आचेह के लोगों को क्षेत्र में रोहिंग्या शरणार्थियों का आगमन स्वीकार्य नहीं है।’’

आचेह पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, समूह नौ अक्टूबर को कॉक्स बाजार से रवाना हुआ था और वे मलेशिया जाना चाहते थे। नौका पर मौजूद कुछ यात्रियों ने दूसरे देश में भेजे जाने के लिए कथित रूप से रकम का भी भुगतान किया था।

जबाल ने कहा कि स्थानीय निवासियों ने इन लोगों को भोजन दिया और शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त ने भी उन्हें भोजन सामग्री उपलब्ध कराई।

पुलिस के अनुसार, नौका जब बांग्लादेश से चली थी तो उस पर 216 लोग सवार थे और इनमें से 50 कथित रूप से इंडोनेशिया के रियायू प्रांत में उतर गए थे।

आचेह पुलिस ने मानव तस्करी के आरोप में तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया है।

लगभग 10 लाख रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमा से शरणार्थी के रूप में बांग्लादेश में रह रहे हैं। इनमें लगभग 740,000 लोग वो हैं जो 2017 में म्यांमा के सुरक्षा बलों के क्रूर आतंकवाद विरोधी अभियान के कारण पलायन कर आए थे। म्यांमा के सुरक्षा बलों पर सामूहिक बलात्कार और हत्याओं का आरोप था।

म्यांमा में रोहिंग्या अल्पसंख्यकों को व्यापक भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। अधिकांश को नागरिकता देने से इनकार कर दिया गया है।

थाईलैंड और मलेशिया की तरह इंडोनेशिया ने भी संयुक्त राष्ट्र के 1951 शरणार्थी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं और उसे शरणार्थियों को स्वीकार करने की बाध्यता नहीं है। हालांकि, देश आम तौर पर संकट में फंसे शरणार्थियों को अस्थायी आश्रय प्रदान करता है।

एपी सुरभि नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)