mundari tribe cow protection: सूडान। भारत में गौरक्षा से जुड़े विवाद की ख़बरें अक्सर मीडिया प्लेटफॉर्म पर देखी, सुनी और पढ़ी जाती है। गायों की रक्षा के मामले में देश में जमकर सियासत भी होती है। इस मुद्दे को लेकर पहले भी साम्प्रदायिक तनाव देखे जा चुके है। गौरक्षा के मुद्दे पर कई दफे मॉब लॉन्चिंग की घटनाएं भी सामने आ चुकी है। लेकिन आज हम भारत में गोरक्षा की नहीं बल्कि अफ्रीकी देश के उस जनजाति की बात कर रहे है जो अपनी गायों की सुरक्षा के लिए कड़े उपाय करते है।
दरअसल हम बात कर रहे है अफ्रीका के सूडान में रहने वाला मुंदारी नामक आदिवासी समुदाय की। यह गायों की सुरक्षा के लिए एके 47 बंदूकें रखता है। गायों को किसी भी प्रकार की हानि न हो, इसका पूरा ध्यान रखा जाता है। गायें इनके लिए जीवन हैं। गायों को चलता फिरता अस्पताल मानने वाला मुंदारी समुदाय गौमूत्र को औषधि के रूप में ग्रहण करता है।
mundari tribe cow protection: अपने पशुधन के साथ पूरा दिन बिताने वाले ये लोग रात को भी उनके साथ ही सोते हैं। गायों की चोरी न हो और उन्हें कोई नुकसान पहुंचाए, इसके लिए रात में बारी-बारी से पहरा देते हैं। दक्षिण सूडान की राजधानी जुबा से लगभग 75 किलोमीटर दूर उत्तर में मुंदारी समुदाय का निवास स्थान है।
सामान्य गायों की ऊंचाई 7 से 8 फीट होती है। लेकिन मुंदारी समुदाय की गायें अधिक ऊंचाई की होती हैं। इसलिए इन्हें विशेष नस्ल की गाय माना जाता है। यही कारण है कि गायों की चोरी का डर बना रहता है और उनकी सुरक्षा की जाती है। गौहत्या को महापाप मानने वाला मुंदारी समुदाय शादियों में दहेज के रूप में गायों का आदान-प्रदान करता है। गौमूत्र से ही मुंह धोते हैं। जली या सूखी हुई गाय के गोबर से ही दांत साफ करते हैं।
mundari tribe cow protection: सूडान एक गर्म देश है, इसलिए यहां के लोग गायों के लिए छाया की व्यवस्था जरूर करते हैं। अगर किसी गाय की मृत्यु हो जाती है तो अपनी परंपरा के अनुसार उसका अंतिम संस्कार कर शोक मनाया जाता है। मुंदारी समुदाय की एक गाय की कीमत 40 से 50 हजार रुपये होती है। पशुपालन ही मुंदारी समुदाय का मुख्य व्यवसाय है।
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