(सरगुरु सुभाष, टेक्सास ए एंड एम विश्वविद्यालय)
कॉलेज स्टेशन (अमेरिका), 17 नवंबर (द कन्वरसेशन) अमेरिका और दुनिया भर में हर साल लाखों लोग मूत्र मार्ग के संक्रमण से पीड़ित होते हैं। कुछ आयु वर्ग के समूह विशेष रूप से मूत्र मार्ग के गंभीर संक्रमण (यूटीआई) से ग्रस्त होते हैं, जिनमें महिलाएं, वृद्ध और कुछ पूर्व सैनिक भी शामिल हैं।
इन संक्रमणों का आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं से इलाज किया जाता है, लेकिन जिन रोगाणुओं को ये दवाएं लक्षित करती हैं, इन दवाओं के अधिक उपयोग से वे इनके प्रति प्रतिरोधी बन जाते हैं और दवाओं की प्रभावशीलता कम हो जाती है।
दीर्घकालिक यूटीआई और एंटीबायोटिक प्रतिरोध की इस समस्या को हल करने के लिए, हमने माइक्रोबायोलॉजी (सूक्ष्म जीव विज्ञान) और इंजीनियरिंग में अपनी विशेषज्ञता को संयोजित करके एक जीवित पदार्थ बनाया है जिसमें लाभकारी ई. कोलाई की एक विशिष्ट प्रजाति मौजूद है।
हमारा शोध यह दर्शाता है कि इस जैव पदार्थ से निकलने वाले ‘अच्छे’ जीवाणु पोषक तत्वों के लिए ‘बुरे’ जीवाणु से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं और जीत सकते हैं, जिससे रोग पैदा करने वाले रोगाणुओं की संख्या में नाटकीय रूप से कमी आ सकती है।
हमारा मानना है कि आगे के विकास के साथ, यह तकनीक बार-बार होने वाले मूत्र मार्ग संक्रमण (यूटीआई) को ठीक करने में मदद कर सकती है, जिस पर एंटीबायोटिक्स असर नहीं करते।
मूत्राशय में जीवाणु को लाना—
लोगों में रहने वाले सूक्ष्मजीवों के लिए पोषक तत्व सीमित होते हैं, शरीर के विभिन्न भागों में उनकी मौजूदगी अलग-अलग होती है। जीवाणु को आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त करने के लिए अन्य सूक्ष्मजीवों और मेजबान के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है।
उपलब्ध पोषक तत्वों को ग्रहण करके, लाभकारी जीवाणु हानिकारक जीवाणु की वृद्धि को रोक या धीमा कर सकते हैं। जब हानिकारक जीवाणु को महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, तो वे बीमारी पैदा करने के लिए पर्याप्त संख्या तक नहीं पहुंच पाते हैं।
हालांकि, मूत्र मार्ग संक्रमण (यूटीआई) को रोकने के लिए मूत्राशय तक लाभदायक जीवाणु पहुंचाना चुनौतीपूर्ण है। एक बात यह है कि ये उपयोगी जीवाणु स्वाभाविक रूप से केवल उन लोगों में पनप सकते हैं जो अपने मूत्राशय को पूरी तरह से खाली करने में असमर्थ होते हैं, इस स्थिति को मूत्र प्रतिधारण कहा जाता है।
यहां तक कि इन रोगियों में भी, ये जीवाणु कितने समय तक उनके मूत्राशय में रह सकते हैं, इसमें व्यापक अंतर होता है।
मूत्राशय तक जीवाणु पहुंचाने की वर्तमान विधियां आक्रामक हैं और इसमें बार-बार कैथेटर डालने की आवश्यकता होती है। यहां तक कि जब जीवाणु सफलतापूर्वक मूत्राशय में छोड़ दिए जाते हैं, तो मूत्र इन रोगाणुओं को बाहर निकाल देता है, क्योंकि वे मूत्राशय की दीवार से चिपक नहीं सकते।
यूटीआई के उपचार के लिए जैवसामग्री—
चूंकि लाभदायक जीवाणु लंबे समय तक मूत्राशय में चिपक कर जीवित नहीं रह सकते, इसलिए हमने एक ऐसा जैव पदार्थ विकसित किया है जो समय के साथ धीरे-धीरे मूत्राशय में जीवाणु को मुक्त कर सकता है।
हमारी जैवसामग्री जीवित ई. कोलाई से बनी है जो मैट्रिक्स ढांचे में समाहित है। यह जेली के टुकड़े जैसा दिखता है जो पानी की बूंद से लगभग 500 गुना छोटा होता है और मूत्राशय में दो सप्ताह तक जीवाणु छोड़ सकता है।
जैव पदार्थ के माध्यम से जीवाणु को पहुंचाकर, हम जीवाणु को अंग में बने रहने के लिए मूत्राशय से जुड़ने की आवश्यकता से मुक्ति पा लेते हैं।
हमने अपने जैव सामग्री का परीक्षण पेट्री डिश में मानव मूत्र में रखकर तथा उसे यूटीआई उत्पन्न करने वाले जीवाणुजन्य रोगजनकों के संपर्क में लाकर किया। हमारे परिणामों से पता चला कि 50:50 अनुपात में मिश्रित होने पर, ई. कोली ने यूटीआई पैदा करने वाले जीवाणु को पछाड़ दिया और कुल संख्या में लगभग 85 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
जैव सामग्री में सुधार—
हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि ई. कोलाई न केवल उन हानिकारक जीवाणुओं को नियंत्रित कर सकता है जिनसे यह निकट रूप से संबंधित है, बल्कि यह मनुष्यों और पशुओं में रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं की एक विस्तृत श्रृंखला को भी नियंत्रित कर सकता है।
(द कन्वरसेशन) रवि कांत रवि कांत सुभाष
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