द हेग, 23 सितंबर (एपी) यूक्रेन और रूस के बीच एक उच्च-स्तरीय मध्यस्थता मामले की सुनवाई सोमवार को शुरू हुई। इस दौरान, कीव ने मॉस्को पर रणनीतिक रूप से अहम अजोव सागर और केर्च जलडमरूमध्य पर अवैध रूप से कब्जा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (पीसीए) में यह सुनवाई रूस और यूक्रेन से जुड़े अंतरराष्ट्रीय कानूनी मामलों की श्रृंखला में नवीनतम है। ये मामले 2014 में मॉस्को के क्रीमिया पर कब्जा करने और 2022 में यूक्रेन पर पूर्ण आक्रमण करने से जुड़े हुए हैं।
यूक्रेन के प्रतिनिधि एंटन कोरिनविच ने मध्यस्थों के एक पैनल को बताया, ‘‘रूस अजोव सागर और केर्च जलडमरूमध्य पर कब्जा करना चाहता है। इसलिए उसने प्रवेश स्थल पर एक विशाल द्वार बनाया है, ताकि छोटी रूसी नौकाओं को प्रवेश की अनुमति दी जा सके और अंतरराष्ट्रीय जहाजों को बाहर रखा जा सके।’’
प्रवेश द्वार से यूक्रेन का संदर्भ क्रीमिया पर कब्जे के बाद केर्च जलडमरूमध्य पर रूस द्वारा बनाए गए एक पुल से था। काला सागर और अजोव सागर को जोड़ने वाले 19 किलोमीटर लंबे इस पुल के अलग-अलग खंडों पर सड़क और रेल यातायात का परिचालन किया जाता है। यह पुल दक्षिणी यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियानों को जारी रखने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से बनाया गया था।
कोरिनविच ने कहा, “पुल गैरकानूनी है और इसे गिराया जाना चाहिए।”
रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा करने के दो साल बाद यूक्रेन ने 2016 में यह मामला दायर किया था। इसमें मॉस्को पर पुल का निर्माण करके संयुक्त राष्ट्र समुद्री संधि का उल्लंघन करने, यूक्रेनी मछुआरों को उस क्षेत्र में प्रवेश से प्रतिबंधित करने, जहां वे पारंपरिक रूप से मछली पकड़ते हैं, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने और समुद्र के नीचे पुरातत्व स्थलों को लूटने का आरोप लगाया गया है।
कीव मुआवजे की मांग कर रहा है।
वहीं, रूस का कहना है कि यह मामला मध्यस्थता अदालत के क्षेत्राधिकार में नहीं आता। उसने कहा कि अगर मध्यस्थता अदालत के पांच न्यायाधीश निर्णय लेते हैं कि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र में आता है, तो अदालत को यूक्रेन के दावों को खारिज कर देना चाहिए।
रूसी प्रतिनिधि गेन्नेडी कुजमिन ने पैनल से कहा, ‘‘इस मामले में यूक्रेन के आरोप, निश्चित तौर पर पूरी तरह से बेबुनियाद और आशाहीन हैं।’’
कुजमिन ने दलील दी कि अजोव सागर और केर्च जलडमरूमध्य ‘आंतरिक जलक्षेत्र’ का हिस्सा हैं, जो समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि के दायरे में नहीं आते। यूक्रेन का आरोप है कि रूस इस संधि का उल्लंघन कर रहा है।
सोमवार के दो शुरूआती बयानों के बाद मामले पर बंद कमरे में कई दिनों तक सुनवाई जारी रहेगी।
एपी पारुल नरेश
नरेश
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