(बारबरा लेकी, कार्लटन विश्वविद्यालय)
ओटावा (कनाडा), नौ फरवरी (द कन्वरसेशन) इस जनवरी में दुनिया ने लॉस एंजिलिस को जलते हुए देखा। एक पुलिस प्रमुख ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैंने ऐसा कुछ पहले कभी नहीं देखा,’ अग्रिम मोर्चे के दमकलकर्मियों ने भी यही बात दोहरायी। पिछली शरद ऋतु में, तूफान हेलेन और मिल्टन ने उत्तरी कैरोलाइना और फ्लोरिडा को अपनी चपेट में ले लिया था।
जलवायु परिवर्तन के कारण तूफानों की तीव्रता और रिकॉर्ड तोड़ मौतों ने कई निवासियों को चौंका दिया है। एक नर्स ने कहा, ‘‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि (ऐसा तूफ़ान) मेरे अपने घर के पास आएगा।’’
एक शोधकर्ता के रूप में मैंने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि भाषा और कहानी सुनाना सामाजिक सामंजस्य और सामाजिक परिवर्तन में कैसे योगदान देता है, मैंने देखा कि लोगों को बार-बार ऐसा लगता था कि उन्होंने जो कुछ देखा, उसे “वर्णित करने के लिए उनके पास कोई शब्द नहीं हैं।’’
उनके अनुभव ने यह दर्शाया कि क्या होता है जब कहानियां और शब्द हमारी दुनिया का वर्णन करने में विफल हो जाते हैं।
‘अतीत और भविष्य के बीच’
उदाहरण के लिए, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, दार्शनिक हन्ना अरेंड्ट, जो एक जर्मन और यहूदी परिवार में पैदा हुई थीं, ने न केवल व्यक्तिगत स्तर पर युद्ध के प्रभाव के बारे में लिखा, बल्कि लोगों के अर्थ बनाने के तरीके पर इसके प्रभाव के बारे में भी लिखा।
अरेंड्ट ने पूछा, कभी वैचारिक ढांचे के माध्यम से दुनिया को समझा जाता था, उसका क्या हुआ? इसका क्या मतलब है? ‘‘अतीत और भविष्य के बीच’’ समय के अजीब अंतराल में रहने का क्या मतलब था जब दुनिया को समझने के पुराने रूप खत्म हो गए थे और नए रूप अभी तक नहीं मिले थे?
उनकी प्रतिक्रिया उत्साहवर्धक और अप्रत्याशित थी। उन्होंने सभी से आह्वान किया – न केवल दार्शनिकों या विद्वानों से बल्कि समग्र रूप से आम जनता से – ऐसे समय में अर्थ निर्माण के कार्य में आगे आने और योगदान देने के लिए जब अर्थ निर्धारण गंभीर रूप से खंडित हो गया था।
अब, जब बहुत से लोग जलवायु संकट को समझना और उस पर प्रतिक्रिया देना चाहते हैं, तो वे फिर से व्यक्तिगत नुकसान की भावना और इस क्षण को समझने के लिए वैचारिक उपकरण न होने की बड़ी भावना का अनुभव कर रहे हैं। मुश्किल समय में कोई दुनिया से कैसे प्यार कर सकता है?
दुनिया से प्यार करना सीखना
प्यार जटिल है। तूफान और आग की तरह, यह अक्सर इसे वर्णित करने के लिए उपलब्ध श्रेणियों को चुनौती देता है।
और जैसा कि अमेरिकी साहित्य और पर्यावरण अध्ययन में प्रोफेसर स्टेफ़नी लेमेनेगर बताती हैं, जीवाश्म ईंधन संस्कृति से प्यार और इससे मिलने वाली सुविधाएँ जलवायु संकट का जवाब देना मुश्किल बना देती हैं।
प्यार भी मापा नहीं जा सकता और मीट्रिक-उन्मुख मूल्य संरचनाएँ इसे गिन नहीं सकती हैं। जैसा कि विलियम शेक्सपियर ने किंग लियर में सवाल किया है: ‘‘कोई प्यार को कैसे मापता है?’’
2030 या 2050 में प्यार खत्म नहीं होगा। इसे वर्णित करने के लिए कई शब्दों के बावजूद, इसका कोई तापमान नहीं है। फिर भी, जैसा कि जलवायु मामलों की प्रोफेसर सारा जैक्वेट रे ने कहा है, इस दुनिया के प्रति प्यार जलवायु कार्रवाई को शक्ति देता है।
मैं हाल ही में एक मित्र, कनाडाई कवि केन विक्टर से बात कर रही थी, और उन्होंने सुझाव दिया कि ‘जलवायु संकट को एक बहुआयामी संबंध के रूप में प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिसे हल करने की समस्या के बजाय सुधारा जाना चाहिए।’
वैश्विक उत्तर जलवायु प्रतिक्रियाओं को स्वदेशी सोच से बहुत कुछ हासिल करना है और अरेंड्ट, निश्चित रूप से, सामूहिक, सहभागी कहानी कहने और दुनिया से प्यार करने की शक्ति को प्रेरित करने में अकेले नहीं हैं।
जलवायु को ‘पुनर्रचना’ करना सीखना
‘पुनर्रचना’ का विचार स्वदेशी लेखकों द्वारा मौखिक कहानी कहने, नेतृत्व और रंगमंच के गतिशील और संबंधपरक रूपों के लिए विविध और शक्तिशाली तरीकों से बोलने के लिए अपनाया गया है।
समय और जलवायु पर मेरा शोध जर्मन यहूदी दार्शनिक वाल्टर बेंजामिन की कहानी कहने की प्रासंगिकता को विकसित करता है, और जिसे मैं यहाँ ‘पुनर्रचना’ कह रही हूँ।
जब सीओपी29 जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफल हो जाते हैं, जब वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि जारी रहती है और हर जगह चरम मौसम के कारण कई लोगों को लगता है कि समझने के लिए उपलब्ध ढांचे अब सफल नहीं हैं, ऐसे में एक अलग प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।
द कन्वरसेशन अमित नरेश
नरेश
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)