अमेरिकी सपने को जीना: भारतीय प्रवासियों के लिए एक चुनौतीपूर्ण यात्रा |

अमेरिकी सपने को जीना: भारतीय प्रवासियों के लिए एक चुनौतीपूर्ण यात्रा

अमेरिकी सपने को जीना: भारतीय प्रवासियों के लिए एक चुनौतीपूर्ण यात्रा

:   Modified Date:  November 5, 2024 / 05:01 PM IST, Published Date : November 5, 2024/5:01 pm IST

(शुजा उल हक)

न्यू जर्सी, पांच नवंबर (भाषा) भारतीय प्रवासियों के लिए अमेरिकी सपने को जीने की चाहत हमेशा उतनी आसान नहीं होती, जितनी बाहर से दिखती है। जटिल अमेरिकी आव्रजन प्रणाली से गुजरते समय, यह बाधाओं से भरी हो सकती है।

स्थायी निवास और नागरिकता पाने का रास्ता लंबा, अनिश्चित और भावनात्मक रूप से कष्टदायक हो सकता है, जो प्रायः व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन पर दबाव डालता है।

कई लोगों के लिए एच-1बी वीजा एक पहेली है। कुशल भारतीय कामगारों के लिए यह एक लोकप्रिय रास्ता है, लेकिन इसकी अपनी चुनौतियां भी हैं क्योंकि इसकी उपलब्धता सीमित है। एच-1बी वीजा पर वार्षिक सीमा का अर्थ है कि लॉटरी प्रणाली के कारण कई योग्य आवेदक इससे बाहर रह जाते हैं।

इस देश में आने वाले अजीत को एहसास हुआ कि एच1बी मार्ग उनके लिए नहीं है। वह अमेरिकी आव्रजन प्रणाली को “टूटा हुआ” कहते हैं।

उन्होंने कहा, “मैं इसे टूटी हुई आव्रजन प्रणाली कहता हूं। भारत इतना बड़ा देश है और हमें किसी भी अन्य छोटे देश की तरह ही सात प्रतिशत कोटा दिया जाता है। यह कैसे उचित है? मैंने सोचा कि एच1बी प्रणाली एक लॉटरी प्रणाली है और यह मेरे लिए काम नहीं करेगी।”

उन्होंने व्यवसाय शुरू करने और अपना वीजा प्रायोजित करने का फैसला किया। वह एक भारतीय रेस्तरां चलाते हैं, जिसके बारे में उनका कहना है कि वह बहुत तेज गति से स्वस्थ भारतीय भोजन परोसता है।

तमाम सपने संजोए एक युवा महिला के रूप में मीता दमानी करीब 20 साल पहले भारत से अमेरिका आई थीं। कई सालों तक वह देश में काम नहीं कर सकीं और एक आश्रित के रूप में रहीं।

इस अवधि ने उन्हें बहुत परेशान किया और वह अवसाद में चली गईं। उन्होंने कहा, “मैं एक भयानक अवसाद से गुजरी और फिर मैंने इस मुद्दे पर एक वृत्तचित्र बनाने का फैसला किया ताकि इस कहानी को बताया जा सके। उन्होंने तब भी एच4 पर आश्रितों को काम करने की अनुमति नहीं दी थी और अब भी यह बहुत ही अस्पष्ट है। मुझे लगता है कि एच4 मुद्दे का स्थायी समाधान आवश्यक है, अभी हमारे पास जो है वह सिर्फ एक कार्यकारी आदेश है और कल कोई भी इसे बदल सकता है।”

एच1बी वीजा धारकों के जीवनसाथी और बच्चों की अपनी अलग चुनौतियां हैं। कई आश्रित वीजा धारकों को काम करने की अनुमति नहीं होती है, जिससे वित्तीय तनाव और पेशेवर पहचान का नुकसान होता है।

आश्रित वीजा पर रहने वाले बच्चों को 21 वर्ष की आयु के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने या रोजगार पाने में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।

भारतीय प्रवासियों के लिए, स्थायी निवास या ग्रीन कार्ड का रास्ता विशेष रूप से कठिन है। प्रति देश (प्रवासी) सीमा के कारण, भारतीय नागरिकों को रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड के लिए 50 साल या उससे अधिक समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है।

सोनल शर्मा पिछले 10 सालों से न्यू जर्सी इलाके में आव्रजन वकील के तौर पर काम कर रही हैं। उनका कहना है कि उन्हें अपने मुवक्किलों के साथ ऐसी निराशाजनक परिस्थितियां देखने को मिलती हैं, जो आव्रजन की उलझन में फंस जाते हैं।

उनका मानना ​​है कि ग्रीन कार्ड के लिए लंबे समय तक इंतजार और लंबित आवेदनों के कारण लोग कई अवसर खो रहे हैं। प्रवासियों के लिए इस प्रणाली में बहुत अनिश्चितता है।

एच1बी सीमाएं, आश्रित वीजा प्रतिबंध और ग्रीन कार्ड के अंतहीन लंबित मामले मिलकर चुनौतियों का एक ऐसा माहौल तैयार करते हैं, जो बेहद परेशान करने वाला हो सकता है।

अमेरिकी सपना साकार न किया जा सके, ऐसा नहीं है, लेकिन इसके लिए रास्ता अपेक्षा से अधिक कठिन है। अधिकांश लोग उम्मीद करेंगे कि उनके लक्ष्यों में निश्चितता प्राप्त करने के लिए जटिल प्रणाली को आसान बनाया जाएगा।

भाषा प्रशांत माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)