जिमी कार्टर:मूंगफली किसान से राष्ट्रपति बनने तक का सफर |

जिमी कार्टर:मूंगफली किसान से राष्ट्रपति बनने तक का सफर

जिमी कार्टर:मूंगफली किसान से राष्ट्रपति बनने तक का सफर

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Modified Date: December 30, 2024 / 12:20 PM IST
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Published Date: December 30, 2024 12:20 pm IST

प्लेन्स (अमेरिका), 30 दिसंबर (एपी) मूंगफली किसान से अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति बनने तक का सफर तय करने वाले और नोबेल शांति पुरुस्कार से सम्मानित जिमी कार्टर का रविवार को निधन हो गया। वह 100 वर्ष के थे।

नौसेना अधिकारी के रूप में शपथ लेने वाले नवविवाहित जिमी कार्टर ने अपने करियर में तरक्की करने के लिए 1946 में अपने छोटे से गृहनगर प्लेन्स में अपना घर छोड़ दिया था लेकिन उनके किसान पिता जेम्स अर्ल कार्टर के असामयिक निधन के कारण जिमी और उनकी पत्नी रोजलिन को वापस लौटना पड़ा।

लेफ्टिनेंट जिमी कार्टर कभी एडमिरल नहीं बन सके लेकिन उन्होंने ‘कमांडर-इन-चीफ’ बन कर इतिहास रच दिया और बाद में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

जिमी कार्टर के नाम से लोकप्रिय जेम्स अर्ल कार्टर जूनियर का 100 वर्ष की आयु में रविवार को जॉर्जिया के प्लेन्स शहर में निधन हो गया जहां उनका जन्म हुआ था। प्लेन्स कार्टर के जीवन के हर पड़ाव का साक्षी बना। उसने 39वां अमेरिकी राष्ट्रपति बनने पर उनके राजनीतिक उत्थान में योगदान दिया, उनकी राजनीतिक हार के बाद उनका स्वागत किया और मानवतावादी के रूप में 40 वर्षों तक दुनियाभर में काम करने के दौरान कार्टर को प्रोत्साहित किया।

बैपटिस्ट में आस्था रखने वाले कार्टर 1977 से 1981 तक देश के राष्ट्रपति रहे।

कभी मूंगफली की खेती करने वाले कार्टर ने वियतनाम युद्ध में शामिल होने से इनकार करने वाले अमेरिकी युवाओं को माफी दी। वह पहले अमेरिकी नेता थे, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से लिया लेकिन कई अमेरिकियों का मानना है कि राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल प्रभावशाली नहीं रहा क्योंकि वह ऊर्जा संकट को समाप्त करने, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटाने या तेहरान से अमेरिकी बंधकों को शीघ्र वापस लाने में असफल रहे।

उन्हें 1980 में हुए राष्ट्रपति पद के चुनावों में रोनाल्ड रेगन से हार का सामना करना पड़ा।

बहरहाल, उन्हें ‘कार्टर सेंटर’ के लिए व्यापक सराहना मिली। यह ‘कार्टर सेंटर’ 1982 से सार्वजनिक स्वास्थ्य, मानवाधिकारों और लोकतंत्र को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने और उनकी पत्नी रोजलिन ने ‘हैबिटेट फॉर ह्यूमैनिटी’ के साथ मिलकर भी काम किया।

कार्टर का एक अक्टूबर, 1924 को ऐसे घर में जन्म हुआ था जहां न बिजली था और न ही पानी। वहां से कार्टर ने देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने तक का सफर तय किया।

कार्टर को विश्व शांति, जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए नोबेल शांति पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।

कार्टर के परिवार में उनके बच्चे- जैक, चिप, जेफ एवं एमी, 11 पोते-पोतियां और 14 परपोते-परपोतियां हैं। उनकी पत्नी रोजलिन और उनके एक पोते का निधन हो चुका है।

कार्टर की पत्नी रोजलिन का साल भर पहले ही नवंबर 2023 में निधन हो गया था। वह 96 वर्ष की थीं।

एपी

सिम्मी नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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