इजराइल पर ईरान के हमले पश्चिम एशिया में संघर्ष बढ़ने के संकेत, वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बढ़ा |

इजराइल पर ईरान के हमले पश्चिम एशिया में संघर्ष बढ़ने के संकेत, वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बढ़ा

इजराइल पर ईरान के हमले पश्चिम एशिया में संघर्ष बढ़ने के संकेत, वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बढ़ा

:   Modified Date:  October 2, 2024 / 05:13 PM IST, Published Date : October 2, 2024/5:13 pm IST

(जावेद अली, मिशिगन विश्वविद्यालय)

मिशिगन (अमेरिका), दो अक्टूबर (द कन्वरसेशन) ईरान ने एक अक्टूबर 2024 को इजराइल पर कम से कम 180 बैलेस्टिक मिसाइल दागीं, जिससे पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ गया है और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस के शब्दों में अगर इसे कहें तो यह ‘‘लगातार बढ़ता जा रहा है।’’

ईरान के हमले को इजराइल ने अपने ‘आयरन डोम’ मिसाइल रक्षा प्रणाली और वहां पास में मौजूद अमेरिकी नौसैनिक विध्वंसक जहाजों की मदद से काफी हद तक रोक दिया। यह हमला 27 सितंबर को तेहरान समर्थित लेबनानी चरमपंथी समूह हिज्बुल्ला के लंबे समय से नेता रहे हसन नसरल्ला की इजराइली हमले में मौत के बाद हुआ है।

हिज्बुल्ला गाजा युद्ध की शुरुआत से ही उत्तरी इज़राइल पर रॉकेट दाग रहा है। गाजा जंग हमास और अन्य चरमपंथियों द्वारा सात अक्टूबर 2023 को इज़राइल पर आक्रमण करने के बाद शुरू हुई थी। उस हमले में लगभग 1,200 लोगों की मौत हुई थी। हिज्बुल्ला के रॉकेट हमलों ने उत्तरी इज़राइल में लगभग 70,000 लोगों को उनके घरों से विस्थापित कर दिया है।

अमेरिका की राजनीति और सोसाइटी संपादक एमी लीबरमैन ने पश्चिम एशिया में तीव्र होते संघर्ष को बढ़ावा देने वाले जटिल इतिहास और गतिशीलता को बेहतर ढंग से समझने के लिए आतंकवाद-रोधी विशेषज्ञ जावेद अली से बात की।

हाल के हफ्तों में पश्चिम एशिया कितना ज़्यादा ख़तरनाक हो गया है?

पश्चिम एशिया में हालात एक साल पहले से भी ज़्यादा अस्थिर हैं। यह संघर्ष मुख्य रूप से इज़राइल और हमास के बीच की लड़ाई से आगे तक फैल गया है।

अब, इजराइल और हिज्बुल्ला के बीच पिछले वर्ष से संघर्ष चल रहा है जो इजराइल-हमास संघर्ष से भी अधिक खतरनाक प्रतीत होता है।

इन हमलों में मानवीय क्षति बहुत ज़्यादा है, क्योंकि लेबनान में 1,000 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि इनमें मरने वालों या घायलों में से कितने वास्तव में हिज़्बुल्ला के लड़ाके हैं।

इजराइल और हिज्बुल्ला के बीच आखिरी बार सीधा युद्ध 2006 में हुआ था, जो 34 दिनों तक चला था और लेबनानी नागरिकों और हिज्बुल्ला लड़ाकों समेत 1,500 से ज़्यादा लोगों की जान गई थी। तब से, इजराइल और हिज्बुल्ला के बीच छद्म युद्ध जारी है – लेकिन यह इस तरह की तीव्रता वाला नहीं था जैसा कि हमने सात अक्टूबर के बाद के परिदृश्य में देखा है।

अब, इस संघर्ष के क्षेत्र से बाहर, यहां तक कि विश्व स्तर पर भी फैलने की संभावना है।

इजराइल और हमास एवं हिज्बुल्ला के बीच संघर्ष से ईरान का क्या संबंध है?

ईरान ने कहा है कि उसने हिज्बुल्ला, हमास और ईरानी सेना पर हमलों के जवाब में इजराइल पर मिसाइलें दागी हैं।

समूहों और संगठनों के गठबंधन को अब ईरान का “एक्सिस ऑफ रिज़िस्टन्स” कहा गया है। ईरान के सर्वोच्च नेता, अयातुल्ला खामेनी और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों ने सभी अलग-अलग तत्वों को एकजुट करने वाले दिशा-निर्देश जारी किए हैं, चाहे वह गाजा पट्टी में हमास हो, यमन में हूती विद्रोही हों, लेबनान में हिज्बुल्ला हों या इराक और सीरिया में शिया मिलिशिया हों।

सात अक्टूबर 2023 से पहले ये सभी समूह वैचारिक रूप से इजराइल के विरोधी थे। मगर वे अपने संघर्ष भी कर रहे थे और हमास का समर्थन करने के लिए एकजुट नहीं थे। अब, वे सभी इजराइल को तबाह करने के एक साझा लक्ष्य के इर्द-गिर्द अधिक सक्रिय हो गए हैं।

ईरान और हिज़्बुल्ला के बीच, विशेष रूप से, गहरे संबंध हैं, जो 1979 में ईरानी क्रांति और इस्लामी गणतंत्र ईरान के निर्माण के समय से चले आ रहे हैं।

साल 1982 में, इजराइल ने फलस्तीनी लिबरेशन संगठन और अन्य फलस्तीनी समूहों द्वारा इजराइल में किए जा रहे सीमा पार हमलों को विफल करने के लिए दक्षिणी लेबनान पर आक्रमण किया। नवगठित ईरानी आईआरजीसी ने लेबनान के गृह युद्ध में पहले से ही लड़ रहे समान विचारधारा वाले लेबनानी शिया उग्रवादियों के साथ काम करने के लिए दक्षिणी लेबनान में सलाहकार और प्रशिक्षक भेजे।

वे इजराइली सेना और बहुराष्ट्रीय सेना के खिलाफ लड़ना चाहते थे, जिसमें अमेरिकी, फ्रांसीसी और अन्य पश्चिमी सेनाएं शामिल थीं। उन्हें मूल रूप से लड़ाई को समाप्त करने के लिए शांति सैनिकों के रूप में भेजा गया था।

लेबनान में हिज़्बुल्ला लेबनान की समानांतर सरकार है। लेबनानी सरकार की अनुमति से हिज़्बुल्ला एक राज्य के भीतर एक राज्य है, लेकिन सरकार हिज्बुल्ला के सैन्य अभियानों में सहयोग नहीं करती है। वर्तमान में, लेबनानी सेना लेबनान पर इज़राइल के हमलों का जवाब नहीं दे रही है। यह दर्शाता है कि हिज़्बुल्ला कितनी प्रभावशाली ताकत बन गया है।

हिज्बुल्ला पर इजराइल के हमले कितना नुकसान पहुंचाने वाले हैं?

हिज्बुल्ला को अपने लड़ाकों के संदर्भ में स्पष्ट रूप से नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन हिज्बुल्ला हमास से कहीं बड़ा समूह है और लेबनान में कहीं बड़े क्षेत्र में उसका दायरा फैला है। इसके पास हमास की तुलना में कहीं अधिक उन्नत हथियार हैं, तथा एक विशाल लड़ाकू बल है जिसमें 40,000 से 50,000 नियमित बल शामिल हैं, जो एक पारंपरिक सैन्य संरचना में संगठित हैं।

द कन्वरसेशन

नोमान मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)