(उज्मी अतहर)
बाकू (अजरबैजान), 13 नवंबर (भाषा) विनाशकारी जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील समुदायों का प्रतिनिधित्व कर रहे भारतीय युवाओं ने सीओपी29 में तत्काल कार्रवाई की मांग की है तथा विश्व के नेताओं से नीति में बच्चों और युवाओं की विशिष्ट आवश्यकताओं को प्राथमिकता देने का आग्रह किया।
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, जिसमें अत्यधिक गर्मी और प्राकृतिक आपदाएं शामिल हैं, से संवेदनशील आबादी को बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि जलवायु आपदा के इस दौर में, पूर्व चेतावनी प्रणाली और अत्यधिक गर्मी से बचाव विलासिता नहीं, बल्कि आवश्यकताएं हैं।
भारत इस साल सर्वाधिक भीषण गर्मी का सामना करने वाले देशों में एक रहा है। भारत में पूर्व चेतावनी प्रणाली बाढ़, चक्रवात और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण हो गई है।
भारत के हिमालयी क्षेत्र से आई युवा प्रतिनिधि 23 वर्षीय मनीषा आर्य ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी29) में लाखों लोगों की चिंताओं को व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘बढ़ते तापमान और अनियंत्रित विकास के कारण भूस्खलन हुए हैं और हमारी जीवनशैली प्रभावित हुई है।’’
मनीषा उन 20 युवा दक्षिण एशियाई कार्यकर्ताओं में शामिल हैं जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में युवाओं की तत्काल मांगों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनके साथ ग्रामीण भारत के कृषक समुदाय से 19 वर्षीय पर्यावरण पैरोकार कार्तिक वर्मा भी हैं।
कार्तिक ने कहा कि अपनी ‘‘प्रकृति के लिए ज्ञान’’ पहल के माध्यम से उन्होंने 5,000 से अधिक बच्चों और युवाओं से संपर्क किया, ताकि उनके समुदायों के समक्ष आने वाली पर्यावरणीय चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके।
कार्तिक ने कहा, ‘‘मैं भाग्यशाली हूं कि मेरी बात सुनी गई, लेकिन मैं सीओपी29 में उन लोगों के लिए हूं जिनकी आवाज अनसुनी रह गई हैं।’’ कार्तिक संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समिति के बाल सलाहकार के रूप में, हाशिए पर मौजूद युवाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) द्वारा समर्थित दक्षिण एशियाई प्रतिनिधिमंडल में भारत, नेपाल, बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान और श्रीलंका के युवा शामिल हैं।
दक्षिण एशिया के लिए यूनिसेफ के क्षेत्रीय निदेशक संजय विजेसेकेरा ने सीओपी29 में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन हर दिन बच्चों के जीवन को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि पूरे क्षेत्र में लाखों लोगों के भविष्य की रक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
वहीं, गुतारेस ने ‘सभी को पूर्व चेतावनी देना और अत्यधिक गर्मी से निपटने’ पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, राष्ट्रों के समक्ष आने वाली अभूतपूर्व चुनौतियों को रेखांकित किया, जिनमें तूफान, बाढ़ और जंगल में आग लगने जैसी मौसम से जुड़ी घटनाएं अधिक गंभीर होती जा रही हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पूर्व चेतावनी प्रणालियां अब वैकल्पिक नहीं बल्कि आवश्यक हैं तथा जलवायु आपदा के इस नए युग में इन्हें ‘‘आवश्यकताएं’’ करार दिया।
भाषा सुभाष पवनेश
पवनेश
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