भारत ने चागोस द्वीपसमूह मुद्दे पर मॉरीशस को पूर्ण समर्थन की पुष्टि की |

भारत ने चागोस द्वीपसमूह मुद्दे पर मॉरीशस को पूर्ण समर्थन की पुष्टि की

भारत ने चागोस द्वीपसमूह मुद्दे पर मॉरीशस को पूर्ण समर्थन की पुष्टि की

:   Modified Date:  July 16, 2024 / 08:26 PM IST, Published Date : July 16, 2024/8:26 pm IST

पोर्ट लुईस, 16 जुलाई (भाषा) भारत ने मंगलवार को चागोस द्वीपसमूह के मुद्दे पर मॉरीशस को अपना समर्थन दोहराया, जिसकी हिंद महासागर में स्थित द्वीपीय राष्ट्र ने तुरंत सराहना की।

चागोस द्वीपसमूह के संबंध में भारत का स्पष्ट सार्वजनिक समर्थन विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा व्यक्त किया गया। जयशंकर द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के लिए मॉरीशस के नेतृत्व के साथ बातचीत की खातिर दो दिवसीय यात्रा पर यहां आए हैं। ये द्विपक्षीय संबंध हिंद महासागर क्षेत्र के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।

जयशंकर ने यहां प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ के साथ एक कार्यक्रम में कहा, “प्रधानमंत्री जी, जैसा कि हम अपने गहरे और स्थायी संबंधों को देखते हैं, मैं आज आपको फिर से आश्वस्त करना चाहूंगा कि चागोस के मुद्दे पर भारत उपनिवेशवाद के उन्मूलन और राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए अपने मुख्य रुख के अनुरूप मॉरीशस को अपना निरंतर समर्थन जारी रखेगा।”

भारत भी एक समय ब्रिटेन का उपनिवेश था और संभवतः एक समान औपनिवेशिक अतीत से प्रेरित होकर मॉरीशस के विदेश मंत्री मनीष गोबिन ने तुरंत इस भावना का समर्थन किया।

कार्यक्रम के तुरंत बाद गोबिन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “हम डॉ. जयशंकर के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं कि उन्होंने चागोस द्वीपसमूह के संबंध में मॉरीशस को लगातार समर्थन दिया है, जो उपनिशेववाद के अंत, संप्रभुता, और क्षेत्रीय अखंडता पर भारत के सैद्धांतिक रुख के अनुरूप है।”

चागोस द्वीपसमूह 60 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला 58 द्वीपों से बना एक प्रवालद्वीप समूह है, जो मॉरीशस के मुख्य द्वीप से लगभग 2,200 किमी उत्तर-पूर्व में और तिरुवनंतपुरम से लगभग 1,700 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।

मॉरीशस सरकार की वेबसाइट के अनुसार, चागोस द्वीपसमूह कम से कम 18वीं शताब्दी से मॉरीशस गणराज्य का हिस्सा रहा है, जब यह एक फ्रांसीसी उपनिवेश था और इसे आइल डी फ्रांस के नाम से जाना जाता था।

उसमें कहा गया है, “चागोस द्वीपसमूह और आइल डी फ्रांस का हिस्सा बनने वाले अन्य सभी द्वीपों को 1810 में फ्रांस ने ब्रिटेन को सौंप दिया था, जब आइल डी फ्रांस का नाम बदलकर मॉरीशस कर दिया गया था। ब्रिटिश शासन की पूरी अवधि के दौरान चागोस द्वीपसमूह का प्रशासन मॉरीशस के हिस्से के रूप में जारी रहा। 1965 में इसे मॉरीशस से अवैध रूप से अलग कर दिया गया।

मॉरीशस ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह मुद्दा उठाया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा का 2019 का प्रस्ताव है जो पुष्टि करता है कि “चागोस द्वीपसमूह मॉरीशस का एक अभिन्न अंग है” और मांग करता है कि “ब्रिटेन छह महीने की अवधि के भीतर बिना शर्त चागोस द्वीपसमूह से अपना औपनिवेशिक प्रशासन वापस ले ले।”

हालांकि इस प्रस्ताव पर कभी अमल नहीं किया गया।

भाषा प्रशांत अविनाश

अविनाश

 

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