भारत, फ्रांस ने जनहित के लिए एआई के विकास की रूपरेखा के महत्व को साझा किया |

भारत, फ्रांस ने जनहित के लिए एआई के विकास की रूपरेखा के महत्व को साझा किया

भारत, फ्रांस ने जनहित के लिए एआई के विकास की रूपरेखा के महत्व को साझा किया

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Modified Date: February 12, 2025 / 09:24 PM IST
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Published Date: February 12, 2025 9:24 pm IST

पेरिस, 12 फरवरी (भाषा) भारत और फ्रांस ने बुधवार को कहा कि वे जनहित के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की ‘अवधारणा, डिजाइन और विकास’ की खातिर एक रूपरेखा बनाने के महत्व को साझा करते हैं जिसमें मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता का सम्मान हो।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के साथ एआई एक्शन शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करने के एक दिन बाद जारी संयुक्त घोषणा पत्र में, दोनों पक्षों ने यह भी कहा कि 2026 में आगामी भारत-फ्रांस नवाचार वर्ष के मद्देनजर, दोनों देश इस उभरती हुई तकनीक के विकास में भाग लेंगे।

‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर भारत-फ्रांस घोषणा पत्र’ में कहा गया है, ‘‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास में प्रगति को स्वीकार करते हुए, भारत और फ्रांस प्रयास करेंगे कि उसके उपयोग को नियंत्रित करने वाले नियम और मानक लोकतांत्रिक मूल्यों को प्रतिबिंबित करें और मानव विकास तथा जनसाधारण की भलाई के लिए एआई की क्षमता का दोहन करें।’’

भारत और फ्रांस ने “सतत विकास के लिए 2030 के एजेंडा की पूर्ण प्राप्ति की दिशा में प्रगति के लिए सुरक्षित, संरक्षित और भरोसेमंद कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणालियों को बढ़ावा देने” की खातिर अपनी संयुक्त प्रतिबद्धता को दोहराया और साथ ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्षमता निर्माण पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए एक सक्षम वातावरण को बढ़ावा देने के लिहाज से अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान करने के अपने प्रयासों को भी याद किया।

दोनों देशों ने इस बात पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के साथ-साथ मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं का “सम्मान किया जाना चाहिए।”

दोनों पक्षों ने संयुक्त घोषणा में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग पर 2023 के समझौता ज्ञापन को याद किया।

इसमें कहा गया है, ‘‘भारत और फ्रांस जनहित के लिए एआई की अवधारणा, डिजाइन और विकास के लिए एक रूपरेखा बनाने के महत्व को साझा करते हैं जिसमें मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता का सम्मान हो, बौद्धिक संपदा अधिकारों, गोपनीयता और व्यक्तिगत डेटा के उपयोग के संबंध में लागू कानूनी रूपरेखाओं का अनुपालन हो।’’

शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र में अपने संबोधन में, जिसमें दुनिया के दिग्गज और शीर्ष उद्यमी शामिल हुए, मोदी ने खुले स्रोत पर आधारित कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के लिए एक वैश्विक रूपरेखा स्थापित करने के सामूहिक प्रयासों की पुरजोर वकालत की, जो विश्वास, पारदर्शिता को बढ़ाता हो और पूर्वाग्रहों से मुक्त हो।

मोदी ने कहा कि एआई राज्यतंत्र, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और समाज को बदल रहा है और ‘‘इस सदी में मानवता के लिए कोड लिख रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम एआई युग के शैशवकाल में हैं जो मानवता की दिशा को आकार देगा।’’

भाषा वैभव अविनाश

अविनाश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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